fb,@,©WriterNilofar Farooqui Tauseef

fb,@,©WriterNilofar Farooqui Tauseef Lives in Mumbai, Maharashtra, India

Follow me on insta id: writernilofar Hobby : Writing poems, ghazals, script इन आंखों ने फिर कोई नज़ारा नही देखा तुझे देखा जो एक बार फिर दुबारा नही देखा

https://m.facebook.com/WriterNilofar-104343201059435/?ref=bookmarks

  • Latest
  • Popular
  • Repost
  • Video

रूह से रूह ही वबिस्ता है। जिस्म से जिस्म का क्या रिश्ता है। दफ़न कर दो या जला दो इसे, रूह है अनमोल , जिस्म सस्ता है। @नीलोफ़र ©fb,@,©WriterNilofar Farooqui Tauseef

#नोजोटोहिंदी #शायरी #इश्क़ #दिल #रूह  रूह से रूह  ही वबिस्ता है।
जिस्म से जिस्म का क्या रिश्ता है।
दफ़न कर दो या जला दो इसे,
रूह है अनमोल , जिस्म सस्ता है।


@नीलोफ़र

©fb,@,©WriterNilofar Farooqui Tauseef

कॉलेज बंक -◆-◆-◆-◆-◆-◆- कॉलेज बंक उफ़्फ़ वो कॉलेज बंक। क्या ख़ुबसूरत पल थे। दोस्तों के संग थे। सभी मिलकर, भाग जाते। थोड़ा मस्ती कर आते। कैंटीन में खाना, हाथों में कोल्ड ड्रिंक था। उफ़्फ़, वो क्या ख़ूब कॉलेज बंक था। इम्तेहां से पहले अक्सर ग़ायब हो जाते। साथ दोस्तो के पढ़ाई भी कर जाते। पकड़े जाने पे, लगता जैसे डंक था। उफ़्फ़, वो क्या ख़ूब कॉलेज बंक था। ©fb,@,©WriterNilofar Farooqui Tauseef

#कविता #hindi_shayari #writernilofar #hindi_poetry #collegelife  कॉलेज बंक
-◆-◆-◆-◆-◆-◆-
कॉलेज बंक
उफ़्फ़
वो कॉलेज बंक।

क्या ख़ुबसूरत पल थे।
दोस्तों के संग थे।
सभी मिलकर, भाग जाते।
थोड़ा मस्ती कर आते।

कैंटीन में खाना, हाथों में कोल्ड ड्रिंक था।
उफ़्फ़, वो क्या ख़ूब कॉलेज बंक था।

इम्तेहां से पहले अक्सर ग़ायब हो जाते।
साथ दोस्तो के पढ़ाई भी कर जाते।

पकड़े जाने पे, लगता जैसे डंक था।
उफ़्फ़, वो क्या ख़ूब कॉलेज बंक था।

©fb,@,©WriterNilofar Farooqui Tauseef

#5LinePoetry अजब सी ख़ामोशी छाई है। बेचैनी दिल की बढ़ाई है। इन वादियों का ख़ामोश होना जैसे लगता सनम हरजाई है राज़-ए-दिल की क्या बात इसकी हर अदा में गहराई है ©fb,@,©WriterNilofar Farooqui Tauseef

#ख़ामोशी #शायरी #यादों #writernilofar #hindi_poetry  #5LinePoetry अजब सी ख़ामोशी छाई है।
बेचैनी दिल की बढ़ाई है।
इन वादियों का ख़ामोश होना
जैसे लगता सनम हरजाई है
राज़-ए-दिल की क्या बात
इसकी हर अदा में गहराई है

©fb,@,©WriterNilofar Farooqui Tauseef

*किस दौर में आ गए* -◆-◆-◆-◆-◆-◆-◆- किस दौर में आ गए हम साँस की क़ीमत चुका रहे हैं। एक क़दम आगे की ओर दो पीछे को जा रहे हैं। पैसा है तो दवा नहीं, दवा है तो ऑक्सीजन नहीं कोई दिला दे एक ख़ाली बिस्तर हॉस्पिटल से गुहार लगा रहे हैं। न जाति न धर्म न छुआछूत कोई न हिन्दू न मुस्लिम न ईसाई कोई भूल कर सारे गीले-शिकवे एक ही चिता के पास लिटा रहे हैं। आँखों में आँसू, दिल में दर्द, हर कोई तलाश रहा अपना हमदर्द। गुनाह आख़िर क्या हो गया ? देखो! हम सब मुँह छुपा रहे हैं। हिम्मत और हौसला बनाना है महामारी को हराना है तुम और मैं, हम हो जाएँ यही बात सब को बता रहे हैं। यही बात सब को बता रहे हैं। 🤲🙏✝️ ©fb,@,©WriterNilofar Farooqui Tauseef

#कविता #writernilofar #Nojotoindia #nilofarlove #covidindia  *किस दौर में आ गए*
-◆-◆-◆-◆-◆-◆-◆-

किस दौर में आ गए हम
साँस की क़ीमत चुका रहे हैं।
एक क़दम आगे की ओर
दो पीछे को जा रहे हैं।

पैसा है तो दवा नहीं,
दवा है तो ऑक्सीजन नहीं
कोई दिला दे एक ख़ाली बिस्तर
हॉस्पिटल से गुहार लगा रहे हैं।

न जाति न धर्म न छुआछूत कोई
न हिन्दू न मुस्लिम न ईसाई कोई
भूल कर सारे गीले-शिकवे
एक ही चिता के पास लिटा रहे हैं।

आँखों में आँसू, दिल में दर्द,
हर कोई तलाश रहा अपना हमदर्द।
गुनाह आख़िर क्या हो गया ?
देखो! हम सब मुँह छुपा रहे हैं।

हिम्मत और हौसला बनाना है
महामारी को हराना है
तुम और मैं, हम हो जाएँ
यही बात सब को बता रहे हैं।
यही बात सब को बता रहे हैं।

🤲🙏✝️

©fb,@,©WriterNilofar Farooqui Tauseef

*अदब का दायरा* -◆-◆-◆-◆-◆- अदब का दायरा है सलीक़े से पेश आया किजये। आदाब, नमस्ते कहकर मुलाहज़ा फरमाया किजये। नज़्म,ग़ज़ल, छंद या रुबाई सुनानी हो कभी, बुलन्द आवाज़ में, महफ़िल सजाया किजये। छोटे हों या हों बड़े, सब के हैं अलग अंदाज़, हक़ीर बोल किसी पे रुतबा न आज़माया किजये। फलदार दरख़्त ही अक्सर झुक जाते हैं साहेब, ज़ुबाँ शीरीं रख, पत्थर भी पिघलाया किजये। ग़म के बादल छाए रहते हैं, यहाँ हर किसी पे, सिर्फ़ दिल में नहीं, लबों पे भी मुस्कान लाया किजये हक़ीर - तुच्छ/छोटा अदब - विनय/सम्मान दरख़्त-पेड़ ज़ुबाँ शीरीं - मीठी ज़ुबाँ *©Nilofar Farooqui Tauseef ✍* *FB, ig-writernilofar* ©fb,@,©WriterNilofar Farooqui Tauseef

#writernilofar #nilofarlove #kavita #nojato  *अदब का दायरा*
-◆-◆-◆-◆-◆-

अदब का दायरा है सलीक़े से पेश आया किजये।
आदाब, नमस्ते कहकर मुलाहज़ा फरमाया किजये।

नज़्म,ग़ज़ल, छंद या रुबाई सुनानी हो कभी,
बुलन्द आवाज़ में, महफ़िल सजाया किजये।

छोटे हों या हों बड़े, सब के हैं अलग अंदाज़,
हक़ीर बोल किसी पे रुतबा न आज़माया किजये।

फलदार दरख़्त ही अक्सर झुक जाते हैं साहेब,
ज़ुबाँ शीरीं रख, पत्थर भी पिघलाया किजये।

ग़म के बादल छाए रहते हैं, यहाँ हर किसी पे,
सिर्फ़ दिल में नहीं, लबों पे भी मुस्कान लाया किजये
 

हक़ीर - तुच्छ/छोटा
अदब - विनय/सम्मान
दरख़्त-पेड़
ज़ुबाँ शीरीं - मीठी ज़ुबाँ


*©Nilofar Farooqui Tauseef ✍*
*FB, ig-writernilofar*

©fb,@,©WriterNilofar Farooqui Tauseef

मोहब्ब्त का चालान -◆-◆◆-◆-◆-◆-◆-◆- हमारी मोहब्ब्त का भी, चालान कटा दो, पैसे नहीं है बटुआ में, चलो, जेल करा दो। जेल हो तो सिर्फ ,महबूब के ही घर में, हमेशा साथ रहने की, एक रसीद बना दो। रसीद पक्की ही बनवाना, मोहब्ब्त की है, ज़रा इसपे, सात जन्म का लेमिनेशन भी करवा दो। लेमिनेशन हिफाज़त, हर पल करेगी हमारी, सज़ा का जब वक़्त आये, तो उम्र क़ैद दिला दो। उम्र क़ैद होकर रहूँ, सिर्फ उनके ही बज़्म में, फ़िर चाहो तो, मौत की आग़ोश में सुला दो। फ़िर चाहो तो, मौत की आग़ोश में सुला दो। ©fb,@,©WriterNilofar Farooqui Tauseef

 मोहब्ब्त का चालान
-◆-◆◆-◆-◆-◆-◆-◆-

हमारी मोहब्ब्त का भी, चालान कटा दो,
पैसे नहीं है बटुआ में, चलो, जेल  करा दो।

जेल हो तो सिर्फ ,महबूब के ही घर में,
हमेशा साथ रहने की, एक रसीद बना दो।

रसीद पक्की ही बनवाना, मोहब्ब्त की है,
ज़रा इसपे, सात जन्म का लेमिनेशन भी करवा दो।

लेमिनेशन हिफाज़त, हर पल करेगी हमारी,
सज़ा का जब वक़्त आये, तो उम्र क़ैद दिला दो।

उम्र क़ैद होकर रहूँ, सिर्फ उनके ही बज़्म में,
फ़िर चाहो तो, मौत की आग़ोश में सुला दो।
फ़िर चाहो तो, मौत की आग़ोश में सुला दो।

©fb,@,©WriterNilofar Farooqui Tauseef

#मोहब्बत #चलान #नोजोतिहिंदी #हिन्दी #कविता #nojohindi #ishq #nilofarlove #writernilofar #HandsOn

12 Love

Trending Topic