आगाज़ तो कर अंजाम भी आएगा,
अंधेरो में बस तेरा ही चराग जगमगाएगा ।
यूं तो समंदर में भी प्यासे मर जाते हैं लोग,
शुरूआत तो कर ज़माने को तेरा इश्तियार जाएगा ।
आगाज़ तो कर अंजाम भी आएगा,
अंधेरो में बस तेरा ही चराग जगमगाएगा ।
यूं तो समंदर में भी प्यासे मर जाते हैं लोग,
शुरूआत तो कर ज़माने को तेरा इश्तियार जाएगा ।
8 Love
आगाज़ तो कर अंजाम भी आएगा,
अंधेरो में बस तेरा ही चराग जगमगाएगा ।
यूं तो समंदर में भी प्यासे मर जाते हैं लोग,
शुरूआत तो कर ज़माने को तेरा इश्तियार जाएगा ।
आगाज़ तो कर अंजाम भी आएगा,
अंधेरो में बस तेरा ही चराग जगमगाएगा ।
यूं तो समंदर में भी प्यासे मर जाते हैं लोग,
शुरूआत तो कर ज़माने को तेरा इश्तियार जाएगा ।
10 Love
तूझे खोजूँ तो कैसे खोजूँ ,
तुम चीनी सी घुल जाती हो ।
होंठो से लगती हो जैसे ही,
नस - नस में मिल जाती हो ।
छूती हो जैसे ही मुझको,
परछाई तक मिल जाती है ।
हूँ कितना मैं खुद का खुद में,
फिर बात समझ ना आती है ।
लगी तलप तेरी तो मैं धुँआ धुँआ हो गया,
और मेरा ज़र्रा ज़र्रा प्यासा कुआँ हो गया,
एक कश में बुझा लेता प्यास गर तू सिगार होती,
पर मैं मृग सा अपनी ही कस्तूरी का शिकार हो गया ।
घूंघट में चाँद घूंघट के हट जाने से मेरे चाँद का दीदार होता है,
फिर वार कोई भी हो मेरा तो 'इतवार' होता है ।
मुखड़ा देखकर उसका मैं घायलों सा कराहता नहीं,
पर जब तक वो घूंघट ना ओढ़ ले मैं होश में आता नहीं
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here