मुकेश आनंद

मुकेश आनंद Lives in Delhi, Delhi, India

लेखक हूं, आम लोगों से जुड़ा हुआ। साधारण शब्दों में असाधारण कहने का प्रयास है। अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें।

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***जुर्रत*** रहनुमा जिसको बनाया, वो झूठ कहे जा रहा है, सरकारी अमला उसी पे अमल किए जा रहा है। अफवाहों का बाजार गर्म कर दिया है हर ओर, और सितमगर चोट पर चोट किए जा रहा है। तमाशबीन कुछ कम नहीं हैं अपने मुल्क में भी, तभी अपना नुमाइंदा ऐसी जुर्रत किए जा रहा है। किसान है सड़कों पर और जवान है बार्डर पर, कौन है जो कंबल ओढ़ कर घी पिए जा रहा है। मौत आती है, गुरूर करने वाले को भी 'आनंद', तख्त पे बैठा है वो इसे भूलकर जिए जा रहा है। -मुकेश आनंद। -उपाध्यक्ष, संस्कृति और कला प्रकोष्ठ, आम आदमी पार्टी, उत्तर प्रदेश। ©मुकेश आनंद

#जुर्रत #Shades  ***जुर्रत***
रहनुमा जिसको बनाया, वो झूठ कहे जा रहा है,
सरकारी अमला उसी पे अमल किए जा रहा है। 

अफवाहों का बाजार गर्म कर दिया है हर ओर,
और सितमगर चोट पर चोट किए जा रहा है। 

तमाशबीन कुछ कम नहीं हैं अपने मुल्क में भी,
तभी अपना नुमाइंदा ऐसी जुर्रत किए जा रहा है। 

किसान है सड़कों पर और जवान है बार्डर पर,
कौन है जो कंबल ओढ़ कर घी पिए जा रहा है।  

मौत आती है, गुरूर करने वाले को भी 'आनंद',
तख्त पे बैठा है वो इसे भूलकर जिए जा रहा है।
           -मुकेश आनंद।
-उपाध्यक्ष, संस्कृति और कला प्रकोष्ठ,
आम आदमी पार्टी, उत्तर प्रदेश।

©मुकेश आनंद

भूख से बिल बिला रहे हैं लोग, दिल दो फांक है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। योजनाओं की है भीड़, ढाक के तीन पात है। और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। किले पर है झंडा, भूखे बच्चे के भी हाथ है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। कुछ सजसंवर के बैठे हैं, कुछ देख अवाक हैं, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। कुछ खा रहे छप्पन भोग, कोई रहा मुंह ताक है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। मर भी जाए कोई तो, मांगना पड़ता न्याय है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। मेहनत करने वाला चुप, गपोड़ी बजाता गाल है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। हम ही बनाते हैं इनको, ये हमारी ही सरकार है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। शक्ति सब लगा दें देशहित में, यही दरकार है, और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। उपाध्यक्ष, आप कला और संस्कृति प्रकोष्ठ। ©मुकेश आनंद

#Shades  भूख से बिल बिला रहे हैं लोग, दिल दो फांक है, 
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 

योजनाओं की है भीड़, ढाक के तीन पात है। 
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 

किले पर है झंडा, भूखे बच्चे के भी हाथ है,
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 

कुछ सजसंवर के बैठे हैं, कुछ देख अवाक हैं,
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 

कुछ खा रहे छप्पन भोग, कोई रहा मुंह ताक है, 
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 

मर भी जाए कोई तो, मांगना पड़ता न्याय है,
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 

मेहनत करने वाला चुप, गपोड़ी बजाता गाल है,
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 

हम ही बनाते हैं इनको, ये हमारी ही सरकार है,
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 

शक्ति सब लगा दें देशहित में, यही दरकार है, 
और सरकार कह रहें हैं सब ठीक-ठाक है। 
उपाध्यक्ष, आप कला और संस्कृति प्रकोष्ठ।

©मुकेश आनंद

#Shades

9 Love

अपनी ख्वाहिशों का मैं खुद शिकार हूं, सच ऐ जिन्दगी हां मैं ही तेरा गुनहगार हूँ। मुझे पता है तू कभी मेरा हो नहीं सकता, फिर भी क्यूं मैं तेरा ही तलबगार हूं। जाग जाता हूं तो सो जाता हूं आराम से, वरना हर समय तुझसे मिलने को बेकरार हूं। इस अनजान डर का कुछ तो इलाज होगा, वरना दुनियां के लिए तो मैं सरदार हूँ। थक गया हूँ इंतिहान देकर अब 'आनंद', जिंदगी अब तुझसे हो गया बेजार हूँ। - मुकेश आनंद ©मुकेश आनंद

#JusticeForNikitaTomar  अपनी ख्वाहिशों का मैं खुद शिकार हूं,
सच ऐ जिन्दगी हां मैं ही तेरा गुनहगार हूँ। 

मुझे पता है तू कभी मेरा हो नहीं सकता,
फिर भी क्यूं मैं तेरा ही तलबगार हूं। 

जाग जाता हूं तो सो जाता हूं आराम से,
वरना हर समय तुझसे मिलने को बेकरार हूं। 

इस अनजान डर का कुछ तो इलाज होगा,
वरना दुनियां के लिए तो मैं सरदार हूँ। 

थक गया हूँ इंतिहान देकर अब 'आनंद',
जिंदगी अब तुझसे हो गया बेजार हूँ। 


                     - मुकेश आनंद

©मुकेश आनंद

***विश्वास नहीं तेरे प्रेम पर*** विश्वास नहीं है मुझे तुम्हारे प्रेम पर , ना ही है कोई आस्था, कोई डर नहीं खोने का, ना ही उसके लिए है कोई स्पर्द्धा। आखिर जो सामने हो उस पर आस्था और विश्वास से क्या प्रयोजन, महसूस करता हूँ तुम्हें हर क्षण प्रतिपल, हर जगह, अभिभूत हूं तुमसे ही। इतना परिपूर्ण घट हूँ इस अमृत से, ये छलक पड़ता है, हर गली, हर डगर, जहाँ भी जाऊँ, फैल जाती है सुरभि हर कोने में। कोई प्रयोजन नहीं आस्था विश्वास या डर का, हर पल सराबोर तेरे प्रेम रस से, अब मैं हूँ ही नहीं, तो फिर क्या खोना और क्या पाना। -मुकेश आनंद। ©मुकेश आनंद

#steps  ***विश्वास नहीं तेरे प्रेम पर***

विश्वास नहीं है मुझे तुम्हारे प्रेम पर ,
ना ही है कोई आस्था,
कोई डर नहीं खोने का,
ना ही उसके लिए है कोई स्पर्द्धा। 

आखिर जो सामने हो
उस पर आस्था और विश्वास से क्या प्रयोजन,
महसूस करता हूँ तुम्हें हर क्षण प्रतिपल,
हर जगह, अभिभूत हूं तुमसे ही। 

इतना परिपूर्ण घट हूँ इस अमृत से,
ये छलक पड़ता है,
हर गली, हर डगर, जहाँ भी जाऊँ,
फैल जाती है सुरभि हर कोने में। 

कोई प्रयोजन नहीं आस्था विश्वास या डर का,
हर पल सराबोर तेरे प्रेम रस से,
अब मैं हूँ ही नहीं, तो फिर
क्या खोना और क्या पाना। 
-मुकेश आनंद।

©मुकेश आनंद

#steps

11 Love

मुझे तुमसे प्रेम है, सिर्फ इसलिए नहीं कि, करने को कुछ नहीं है मेरे पास, या और कोई और विकल्प नहीं है, या मुझे तुमसे कुछ काम है, सब कुछ है मेरे पास। समय निकालता हूँ तुम्हारे लिए, क्यूँकि तुमसे मिल कर खो जाता हूँ दुनिया से, और पा लेता हूँ अपने आप को, इसलिए हाँ सिर्फ इसलिए, मुझे तुमसे प्रेम है। -मुकेश आनंद ‌ ©मुकेश आनंद

#प्रेम  मुझे तुमसे प्रेम है,
सिर्फ इसलिए नहीं कि, 
करने को कुछ नहीं है मेरे पास, 
या और कोई और विकल्प नहीं है,
या मुझे तुमसे कुछ काम है,
सब कुछ है मेरे पास। 
समय निकालता हूँ तुम्हारे लिए,
क्यूँकि तुमसे मिल कर खो जाता हूँ दुनिया से,
और पा लेता हूँ अपने आप को, 
इसलिए हाँ सिर्फ इसलिए,
मुझे तुमसे प्रेम है। 
-मुकेश आनंद ‌

©मुकेश आनंद

जिंदगी, एक ही जिंदगी में, मैं कई बार जीना चाहता हूँ, आदतन, अपने ख्वाब के हर किरदार में जीना चाहता हूँ। -मुकेश आनंद ©मुकेश आनंद

 जिंदगी, एक ही  जिंदगी में, मैं कई बार जीना चाहता हूँ,
आदतन, अपने ख्वाब के हर किरदार में जीना चाहता हूँ। 
-मुकेश आनंद

©मुकेश आनंद

जिंदगी, एक ही जिंदगी में, मैं कई बार जीना चाहता हूँ, आदतन, अपने ख्वाब के हर किरदार में जीना चाहता हूँ। -मुकेश आनंद ©मुकेश आनंद

9 Love

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