Mohit Singhai

Mohit Singhai Lives in Sagar, Madhya Pradesh, India

वादा है ख़ुद से अब खुद को बदलने का, सफर मुश्किल सही हर हाल में चलने का। मोहित जैन 7जून 1996 Music❤️ https://www.facebook.com/mohit.singhai.96 ❤️🙏

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आत्मघात का कदम उठाकर मन ही मन सर्मिन्दा है, दुनिया को उसने छोड़ दिया पर सब के दिलो में जिंदा है।

#SushantSinghRajput #बात  आत्मघात का कदम उठाकर मन ही मन सर्मिन्दा है,
दुनिया को उसने छोड़ दिया पर सब के दिलो में जिंदा है।

रेखाएँ क्या कहती है कहने दो, हमे तो अपनी मौज़ में रहने दो।

#रेखाएँ #शायरी  रेखाएँ क्या कहती है कहने दो,
हमे तो अपनी मौज़ में रहने दो।

भूखे हाथी के पेट को तुमने बारूदों से भर डाला, गर्भवती थी हथनि तुमने बच्चे को भी हर डाला, इंसानो की इस हरकत पर मानवता भी शर्मिंदा है, इस बर्बरता को करने वाले लेकिन अब भी जिंदा है।

#केरलहत्या #शायरी  भूखे हाथी के पेट को तुमने बारूदों से भर डाला,
गर्भवती थी हथनि तुमने बच्चे को भी हर डाला,
इंसानो की इस हरकत पर मानवता भी शर्मिंदा है,
इस बर्बरता को करने वाले लेकिन अब भी जिंदा है।

सारी कसमें और बादे अधूरे छोड़कर, औरो की चाहत में मगरूर हो तुम, अब तो मेरे हाथ भी तुम तक नहीं पहुँचते , मेरी पकड़ से तो बहुत दूर हो तुम।

#शायरी #Pyar #ishq  सारी कसमें और बादे अधूरे छोड़कर,
औरो की चाहत में मगरूर हो तुम,
अब तो मेरे हाथ भी तुम तक नहीं पहुँचते ,
मेरी पकड़ से तो बहुत दूर हो तुम।

#Pyar #ishq

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सीख जाओ तुम अकेले चलना, हालातो के अनुसार ढलना, राह में पत्थर बहुत मिलेंगे, ठोकरे खाना और संभलना न कभी किसी से तुलना करना, न औरो के सांचे में ढलना,। सीख जाओ तुम अकेले चलना.... निशां पैर के मिल भी जाये, कभी न उस पथ पर तुम चलना, निश्चित कर अपनी मंजिल को, तब संभव मंजिल का मिलना। सीख जाओ तुम अकेले चलना... .ऊँचाई पर पहुँचोगे तब, शुरू करेंगे लोग कुचलना, थोड़ा रुकना औऱ संभालना, सीख जाओगे अकेले चलना.... हालातो के अनुसार ढलना।

#अनुभव  सीख जाओ तुम अकेले चलना,
हालातो के अनुसार ढलना,
राह में पत्थर बहुत मिलेंगे,
ठोकरे खाना और संभलना
न कभी किसी से तुलना करना,
न औरो के सांचे में ढलना,।
सीख जाओ तुम अकेले चलना....
निशां पैर के मिल भी जाये,
कभी न उस पथ पर तुम चलना,
निश्चित कर अपनी मंजिल को,
तब संभव मंजिल का मिलना।
सीख जाओ तुम अकेले चलना...
.ऊँचाई पर पहुँचोगे तब,
शुरू करेंगे लोग कुचलना,
थोड़ा रुकना औऱ संभालना,
सीख जाओगे अकेले चलना....
हालातो के अनुसार ढलना।

सीख जाओ तुम अकेले चलना, हालातो के अनुसार ढलना, राह में पत्थर बहुत मिलेंगे, ठोकरे खाना और संभलना न कभी किसी से तुलना करना, न औरो के सांचे में ढलना,। सीख जाओ तुम अकेले चलना.... निशां पैर के मिल भी जाये, कभी न उस पथ पर तुम चलना, निश्चित कर अपनी मंजिल को, तब संभव मंजिल का मिलना। सीख जाओ तुम अकेले चलना... .ऊँचाई पर पहुँचोगे तब, शुरू करेंगे लोग कुचलना, थोड़ा रुकना औऱ संभालना, सीख जाओगे अकेले चलना.... हालातो के अनुसार ढलना।

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तपती दोपहरी और पैर जल रहे थे, भूखे थे बच्चे अपना पेट मल रहे थे, ग्रहस्ती सर पर ,हिम्मत कुछ वाकी थी, मीलो की दूरी वह पैदल चल रहे थे।

#कविता  तपती दोपहरी और पैर जल रहे थे,
भूखे थे बच्चे अपना पेट मल रहे थे,
ग्रहस्ती सर पर ,हिम्मत कुछ वाकी थी,
मीलो की दूरी वह पैदल चल रहे थे।

तपती दोपहरी और पैर जल रहे थे, भूखे थे बच्चे अपना पेट मल रहे थे, ग्रहस्ती सर पर ,हिम्मत कुछ वाकी थी, मीलो की दूरी वह पैदल चल रहे थे।

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