यहा कोई दोस्त, शुभचिंतक, मार्गदर्शक ये अपने अपने नकाब की बात
हम कहते है एकता, समानता, आपसी प्रेम रखो वो कहते है ये है चुनाव की बात
हम सोचते है इन्सानियत जिंदा है पर इन्सान समझते है इसे किताबी बात
दिल दिमाग सब बाद की बात चलो करते है पेट और खुराक की बात
मेरा ऊंचाइयो से मतलब था तुम करने लगे जिराफ की बात
तुम ओहदा कह लो हैसियत कह लो गाली सी चुभती है औकात की बात
हम कहते है ईमानदार और मेहनती तुम कहते है क्यू करते हों फिजूल की बात
अगर मैं रावण होता तो मै रावन ही अच्छा हूँ तुम सब राम बन जावो ,
सीता माँ का मान, सम्मान, और जीवन लंका में ही था. क्योकि जब वो अयोध्या में आई तो पहले उनका मान गया फिर सम्मान गया और जीवन उन्होने खुद त्याग दिया.
ज्ञात हुआ यम आने को है ले अपनी काली हाला
पंडित अपनी पोथी भूला, साधू भूल गया माला
और पुजारी भूला पूजा, ज्ञान सभी ज्ञानी भूला
किन्तु न भूला मरकर के भी पीनेवाला मधुशाला
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