अरे हवा बह हौले-हौले,बच्चे उड़ना सीख रहे।
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जुनरी के दानें चुग चुग कर,जैसे थोड़ा बड़े हुए।
नन्हें पैरों के बल पर तुम,जैसे थोड़ा खड़े हुए।।
फड़काए जब डैने तुमने,मन खुश था पर है हलचल।
कुछ भावुक हूँ उस क्षण से मैं,सोच रहा मन कुछ पल पल।।
आसमान की दुनियाँ से अब,बच्चे जुड़ना सीख रहे।
अरे हवा बह हौले हौले,बच्चे उड़ना सीख रहे।। 1
नीड़ छोड़कर क्षितिज छोर तक,जाना बहुत जरूरी है।
लक्ष्य तुम्हारा जो भी है वह,पाना बहुत जरूरी है।।
रखा हौसला जिसने मन में,चाँद सितारे ले आया।
एक पाँव पे खड़ा पपीहा,बदरा कारे ले आया।।
भूल भुलैयाँ मोड़ों पर अब,बच्चे मुड़ना सीख रहे।
अरे हवा बह हौले हौले,बच्चे उड़ना सीख रहे।। 2
उड़ते उड़ते पर थक जाएं,पर्वत पर पग धर लेना।
प्यास लगे तो झील किनारे,जल पीकर जग भर लेना।।
बागों से मैं विनय कर चुका,मीठे फल तुमको देंगे।
अंजनि पुत्र हमेशा तुमको,उड़ने वाला बल देंगे।।
शीत!धूप!बारिश!ठहरो अब,बच्चे बढ़ना सीख रहे।
अरे हवा बह हौले-हौले,बच्चे उड़ना सीख रहे।। 3
कवि शिव गोपाल अवस्थी
©Shiv gopal awasthi
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