Prakhar Pandey

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Poet (patriotic)

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व्यभिचारियों की नित बढ़ रही विषबेल एक-एक शाख अब छाँट देना चाहिये बेटियों की बोटियों को नोच रहे असुरों की बोटियों से धरातल पाट देना चाहिये जीभ काट लेने वाले अधम निशाचरों की गर्दनों को इसी क्षण काट देना चाहिये देकर प्रचंड दंड कर डालो अंग-भंग लाश भूखे भेड़ियों में बाँट देना चाहिये ©प्रखर पाण्डेय

#Stoprape #poem  व्यभिचारियों  की नित  बढ़ रही  विषबेल
          एक-एक शाख अब छाँट देना चाहिये
बेटियों की बोटियों को नोच रहे असुरों की
          बोटियों से धरातल  पाट  देना चाहिये
जीभ काट  लेने वाले अधम निशाचरों की 
         गर्दनों को इसी क्षण काट देना चाहिये
देकर   प्रचंड  दंड   कर   डालो  अंग-भंग
         लाश भूखे भेड़ियों में बाँट देना चाहिये
                                     ©प्रखर पाण्डेय

#Stoprape

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भगत सिंह ने बम से उनके कान नहीं फोड़े होते आज तलक भी गोरे हिन्दुस्तान नहीं छोड़े होते शत-शत नमन 🙏

#bhagatsingh  भगत सिंह ने बम से उनके कान नहीं फोड़े होते
आज तलक भी गोरे  हिन्दुस्तान नहीं छोड़े होते
शत-शत नमन 
🙏

#bhagatsingh

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माँ हिन्दी के नवअँकुर जिनकी छाया में पलते हैं हिन्दी के उन आराधक को चलो नमन हम करते हैं आदि करें हम "आदिकाल" से अनुपम छटा बिखेरी है चन्दरबरदाई, जगनिक की कविता-घटा घनेरी है दलपति नरपति, मधुकर ने क्या अद्भुत दृश्य उकेरा है यूँ मानो घनघोर निशा में कोई प्रखर सवेरा है उन कवियों की चरणधूलि को हम माथे पर मलते हैं हिन्दी के उन आराधक....... रामलला की भक्ति निहित है "स्वर्णकाल" अलबेला है सूरदास के दोहों में कान्हा का बचपन खेला है साखी, सबद, रमैनी, हैं औ पद्ममावत अखरावट है "रामचरितमानस" में जीवन के दर्शन की आहट है इन कवियों के काव्यसिंधु से हम भी अँजुरि भरते हैं हिन्दी के उन आराधक...... सब कालों का अलंकरण जो "रीतिकाल" कहलाता है श्रृँगारिक सागर को धारे मन ही मन इतराता है मीराबाई, घनानन्द, औ केशवदास बिहारी हैं गागर में सागर भरते हैं वन्दन के अधिकारी हैं हम अल्हड़ लेखन वाले उन पदचिन्हों पर चलते हैं हिन्दी के उन आराधक...... "कविता के दिनकर" दिनकर ने भी हिंदी को गाया है और मैथिली, भूषण ने कविता से राष्ट्र जगाया है जिस हिंदी को पुरा काल से ऋषियों ने उच्चारा है उस हिंदी को माता कहने का सौभाग्य हमारा है उन माता औ मातृ-सुतों को सदा हृदय में धरते हैं हिन्दी के उन आराधक...... प्रखर पाण्डेय हरदोई मो. 8546002677

#Hindidiwas #poem  माँ हिन्दी के नवअँकुर जिनकी  छाया  में  पलते  हैं
हिन्दी के उन आराधक को चलो नमन हम करते हैं

आदि करें हम "आदिकाल" से अनुपम छटा बिखेरी है
चन्दरबरदाई,   जगनिक   की  कविता-घटा  घनेरी  है
दलपति नरपति, मधुकर ने क्या अद्भुत दृश्य उकेरा है
यूँ  मानो   घनघोर   निशा   में   कोई  प्रखर  सवेरा  है

उन कवियों की चरणधूलि को हम माथे पर मलते हैं
हिन्दी के उन आराधक.......

रामलला की भक्ति निहित है "स्वर्णकाल" अलबेला है
सूरदास  के   दोहों  में  कान्हा  का  बचपन   खेला  है
साखी, सबद, रमैनी, हैं औ  पद्ममावत  अखरावट  है
"रामचरितमानस" में जीवन के  दर्शन  की  आहट  है

इन कवियों के काव्यसिंधु से हम भी अँजुरि भरते हैं
हिन्दी के उन आराधक......

सब कालों का अलंकरण जो "रीतिकाल" कहलाता है
श्रृँगारिक   सागर  को  धारे   मन  ही  मन  इतराता  है
मीराबाई,   घनानन्द,    औ    केशवदास   बिहारी   हैं
गागर   में  सागर  भरते  हैं  वन्दन   के  अधिकारी  हैं

हम अल्हड़ लेखन वाले उन पदचिन्हों पर चलते हैं
हिन्दी के उन आराधक......

"कविता के दिनकर" दिनकर ने भी हिंदी को गाया है
और मैथिली, भूषण ने  कविता  से  राष्ट्र  जगाया  है
जिस  हिंदी  को  पुरा  काल से ऋषियों ने उच्चारा है
उस हिंदी को  माता  कहने  का  सौभाग्य  हमारा  है

उन माता औ मातृ-सुतों को सदा हृदय में धरते हैं
हिन्दी के उन आराधक......

                                          प्रखर पाण्डेय
                                              हरदोई
                                       मो. 8546002677

हिन्दी साहित्य का इतिहास #Hindidiwas

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निज सभ्यता निज संस्कृति का भान होना चाहिये मातृभाषा का हृदय-आधान होना चाहिये उर्दू अरबी फारसी को पढ़ रहे हो ठीक है पर हिन्द में हिन्दी का सम्मान होना चाहिये प्रखर पाण्डेय 8546002677

#Hindidiwas  निज सभ्यता निज संस्कृति का भान होना चाहिये
मातृभाषा   का    हृदय-आधान    होना    चाहिये
उर्दू  अरबी  फारसी   को  पढ़   रहे  हो   ठीक  है
पर  हिन्द  में  हिन्दी   का  सम्मान   होना  चाहिये
                                       प्रखर पाण्डेय
                                        8546002677

हमारी प्राथमिकता #Hindidiwas

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#speakforsscrailwaystudents #speakforallgovexams #poem

बेरोजगारी की पीड़ा कविता में #speakforallgovexams #speakforsscrailwaystudents

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#31_अगस्त_2020_रात्रि_8_बजे_ राष्ट्रीय साहित्य चेतना मंच के फेसबुक पेज पर आज रात 8 बजे लाइव सेशन में आपसे मुलाकात होगी, आप सभी की उपस्थिति सादर प्रार्थनीय है 🙏

#31_अगस्त_2020_रात्रि_8_बजे_  #31_अगस्त_2020_रात्रि_8_बजे_
राष्ट्रीय साहित्य चेतना मंच के फेसबुक पेज पर आज रात 8 बजे लाइव सेशन में आपसे मुलाकात होगी, आप सभी की उपस्थिति सादर प्रार्थनीय है 🙏

कार्यक्रम हेतु आमंत्रण

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