हर साजिश का अंजाम होता है,
गलती कुछ कि पर पूरा कोम बदनाम होता है,
याद रखो तुम्हें ज़िदंगी देने वाला भगवान होता है,
तुम्हें बचाने का क्या मौत इनाम होता है?
जो कुछ हफ्तों से घर ना लौटे है, उन्हीं के वजह से हम चैन से सोते हैं,
जो बच्ची हुई अनाथ और औरत हुई विधवा उनके गुनेगाहर वो पत्थर फेंकने वाले होते हैं,
धर्म के नाम पर ही कितने कत्लेआम होते है,
कब समझोगे महामारी नहीं देखती धर्म मज़हब साहब,
मारने वाला बस इंसान ही होते हैं...
-अंजली पांडे
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