🌻सरस्वती वंदना🌻
अंधकार का भेदन करती
जगजननी माँ शारदे ,
हाथ जोड़कर वंदन करते
भव-सागर से तार दे।
बुद्धिहीन हम शरण में तेरी
ज्ञान की ज्योति जलाओं ,
महिमा तेरी गाऊँ भवानी
अनहद नाद जगाओं ।
रसना में रस का आस्वादन
सोहं की झंकार दे।
हाथ जोड़कर वंदन करते ,भवसागर से तार दे।।
वीणापाणि तुम ही वाणी
वीणा का वादन हो तुम,
काव्य गुणों की शक्ति तुम से
गीतों का गायन हो तुम ,
कंठ विराजित होकर माता,
गायन का अधिकार दे।।२।।
हाथ जोड़कर वंदन करते,भवसागर से तार दे।
छंद लयों का ताल तुकों का ,
गण की गणना का नियम ,
राग-अलापों ,यति-गति का,
सप्त स्वरों की हो सरगम,
अक्षर-अक्षर शोभित होवें,
शब्दों का संसार दे।।३।।
हाथ जोड़कर वंदन करते,भवसागर से तार दे।
विनयशीलता की सृष्टि में ,
मद का कोई अंश न हो ,
कपट रहित व्यवहार करें सब ,
जग में कोई ध्वंस न हो।
जीवन जीना तभी सफल माँ ,
'सरगम" में कुछ सार दे।।४।।
हाथ जोड़कर वंदन करते,भवसागर से तार दे।।
©Sunil Nagar 'srgm'
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