दुर्गेश

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कुछ नहीं

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खुद की खामियों को पहचान लेते हैं, आओ बराबर-बराबर नुकसान लेते हैं, यूं कब तक एक दूसरे पर इल्ज़ाम लगाएंगे, हम दोनों ग़लत थे, चलो ये मान लेते हैं। ©दुर्गेश

#शायरी #Youme  खुद  की  खामियों  को  पहचान  लेते  हैं,
आओ  बराबर-बराबर  नुकसान  लेते  हैं, 
यूं कब तक एक दूसरे पर इल्ज़ाम लगाएंगे,
हम दोनों  ग़लत थे, चलो  ये मान लेते हैं।

©दुर्गेश

#Youme

10 Love

तुझसे बिछड़ते ही, बेरोजगार सा हो गया, खुद की नजरों में, गुनहगार सा हो गया, सोचा! साथ रहोगे, उन बीते दिनों की तरह, अफसोस! वो हसीं पल यादगार सा हो गया। ©दुर्गेश

#शायरी #DarkWinters  तुझसे बिछड़ते ही,  बेरोजगार सा हो  गया,
खुद की नजरों  में, गुनहगार  सा हो  गया,
सोचा! साथ रहोगे, उन बीते दिनों की तरह,
अफसोस! वो हसीं पल यादगार सा हो गया।

©दुर्गेश

#DarkWinters

10 Love

#शायरी  ये अलग बात है कि कुछ बात नहीं अब उन बातों में,
मगर तुम्हीं ने कही थी कि कुछ बात है मेरी बातों में,
माना वो बात नहीं रही,जो बात थी कल की बातों में,
काश ये बात भी कभी कही होती, बातों ही बातों में।

©दुर्गेश

ये अलग बात है कि कुछ बात नहीं अब उन बातों में, मगर तुम्हीं ने कही थी कि कुछ बात है मेरी बातों में, माना वो बात नहीं रही,जो बात थी कल की बातों में, काश ये बात भी कभी कही होती, बातों ही बातों में। ©दुर्गेश

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#शायरी  Mirror  नादान दिल  गुज़रे हुए वक्त का. पहरा मांगता है, 
रिश्ता मेरे इन लबों से हंसी का  गहरा मांगता है,
लाख  छुपाऊं, पहचान जाता हैं, किरदार  को मेरे,
मेरे घर का आईना मेरा पहले सा चेहरा मांगता है।

©दुर्गेश

aina

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तुम रहो महलों में,मेरे लिए छोटा मकान रहने दो, तुम बन जाओ भगवान, हमें भी इंसान रहने दो, मुझे गिला नहीं तुम्हारे रईस कहलाने से... गुजारिश बस इतनी है, हमें भी किसान रहने दो। ©दुर्गेश

#शायरी #kisandivas  तुम रहो महलों में,मेरे लिए छोटा मकान रहने दो,
तुम बन जाओ भगवान, हमें भी इंसान रहने दो,
मुझे  गिला  नहीं  तुम्हारे  रईस  कहलाने से...
गुजारिश बस इतनी है, हमें भी किसान रहने दो।

©दुर्गेश

#kisandivas

9 Love

मन की सारी उलझनें, फिर से हल कर जाओ, किश्तों में बटी खुशियों को, हरपल कर जाओ, तमाम बातें अधुरी रह गई थी, तेरी और मेरी, आओ ना, वो सारी बातें मुकम्मल कर जाओ। ©दुर्गेश

#शायरी  मन की सारी उलझनें, फिर से हल कर जाओ,
किश्तों में बटी खुशियों को, हरपल कर जाओ,
तमाम  बातें  अधुरी रह गई थी, तेरी और मेरी,
आओ ना, वो सारी बातें  मुकम्मल कर जाओ।

©दुर्गेश

मुक्कमल

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