अरसों बाद आज कलम उठाया,
और ये सोचकर रुक गयी की कुछ बचा ही नहीं अब लिखने को,,
तभी एक ख्याल हल्के से सहलाती हुई
मुझे एहसास कराती है,
तू खुद एक समंदर है जिसे तुम खुद भी नहीं नाप सकती,,
तो क्यूँ न खुद को समझने का कोशिश किया जाये,
आज खुद की तारीफ में कुछ लिखा जाये।
यही कि मैं खुबसूरत हूँ,
मैं अच्छी नहीं बल्कि बहुत अच्छी हूँ,
खुद को आईने में गौर से देख लूँ
तो खुद से प्यार हो जाये,
आज खुद की तारीफ में कुछ लिखा जाये।
मेरी जुल्फे किसी कैद से कम नहीं,
इस कैद से कैसे निकला जाये,
आज खुद की तारीफ में कुछ लिखा जाये।
Makeup और blusher की जरुर नहीं मुझे,
बस मुस्कुरा दूँ और सामने वाला मदहोश हो जाये,
आज खुद की तारीफ में कुछ लिखा जाये।।
©shreyashitiw
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