यूँ मिलना, बिछड़ना और टूट जाना
यूँ मिलना ,बिछड़ना और टूट जाना।
मुकम्मल होता क्यों ना इश्क़ को पाना।
कभी तो कसमे साथ जीने मरने की खाना।
फिर इन कसमो से ही मुक़र जाना।
यूँ मिलना,बिछड़ना........।
कभी तो उनपर पूरा हक जताना।
अब दिख जाए कहीं वो तो उनसे नज़रें चुराना।
यूँ मिलना,बिछड़ना.........।
कभी जिनके नाम से ही आ जाती थी रौनक,
अब उनके ख्यालों से भी नफ़रत हो जाना।
यूँ मिलना ,बिछड़ना.........।
©Ruchi Prajapati
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here