Anupam Mishra

Anupam Mishra Lives in Navi Mumbai, Maharashtra, India

A Poetic Soul enriched with Spiritualism ढूँढते हैं हम अफसाने शब्दों के शहर में ताकि दिल की गहराईयों की तह पा समा सके आप में से किसी के दिल में।

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ज़िंदगी की सुबह बहुत ही खूबसूरत होती है उगते सूरज की भांति सपनो का उदय होता है, जैसे सारे जीव जंतु अपने कार्य में रत्त हो जाते हैं वैसे ही शरीर के सारे अंग कर्मों में संलग्न हो जाते हैं आंखें नई दुनिया को देखती है और समझती है कान सुनते हैं और बोलने को शब्दों की समझ देते हैं हृदय प्रेम रस को रक्त प्रवाह के साथ संचालित करता है और मस्तिष्क जिज्ञावश हर नई चीज को अपनाता है, जैसे जैसे दोपहर आती है, यौवन परवान चढ़ता है अपनी ही अग्नि में खुद मचलकर जलता जलाता है, कभी तो बादल रूपी विकट परिस्थितियों में उलझ जाता है और कभी उन्हें चीर कर किसी योद्धा की तरह सामने आता है, अपने इसी जीवन काल में ये कितना कुछ सीखता सिखाता है, कितनों को हंसाता है रुलाता है, बनाता और बिगाड़ता है, धीरे धीरे ये अग्नि ठंड पड़ने लगती है, जैसे सांझ पड़ती है, सपनों के रंगों को इस जगह जैसे विराम सी लग जाती है, मन में तैरते उमंगों को जैसे अपने घोंसले की याद आती है वो सब एक एक कर जैसे आंखों की रौशनी साथ चले जाते हैं और ये जिस्म भी ठंडी रात के लिए तैयार हो जाता है जिसमें इसका अंग अंग शिथिल पड़ने लग जाता है जीवन का दिन यूं ही बनते संवरते निकल जाता है। ©Anupam Mishra

#Grassland  ज़िंदगी की सुबह बहुत ही खूबसूरत होती है
उगते सूरज की भांति सपनो का उदय होता है,
जैसे सारे जीव जंतु अपने कार्य में रत्त हो जाते हैं
वैसे ही शरीर के सारे अंग कर्मों में संलग्न हो जाते हैं
आंखें नई दुनिया को देखती है और समझती है
कान सुनते हैं और बोलने को शब्दों की समझ देते हैं
हृदय प्रेम रस को रक्त प्रवाह के साथ संचालित करता है
और मस्तिष्क जिज्ञावश हर नई चीज को अपनाता है,
जैसे जैसे दोपहर आती है, यौवन परवान चढ़ता है
अपनी ही अग्नि में खुद मचलकर जलता जलाता है,
कभी तो बादल रूपी विकट परिस्थितियों में उलझ जाता है
और कभी उन्हें चीर कर किसी योद्धा की तरह सामने आता है,
अपने इसी जीवन काल में ये कितना कुछ सीखता सिखाता है,
कितनों को हंसाता है रुलाता है, बनाता और बिगाड़ता है,
धीरे धीरे ये अग्नि ठंड पड़ने लगती है, जैसे सांझ पड़ती है,
सपनों के रंगों को इस जगह जैसे विराम सी लग जाती है,
मन में तैरते उमंगों को जैसे अपने घोंसले की याद आती है
वो सब एक एक कर जैसे आंखों की रौशनी साथ चले जाते हैं
और ये जिस्म भी ठंडी रात के लिए तैयार हो जाता है
जिसमें इसका अंग अंग शिथिल पड़ने लग जाता है
जीवन का दिन यूं ही बनते संवरते निकल जाता है।

©Anupam Mishra

#Grassland

21 Love

इस बेजुबान मन की भला क्या बात करें कभी तो चांद सूरज पर भी ये राज करे सारी दुनिया को अपना गुलाम मान के चले स्वच्छंद होकर लहरों की भांति हिलकोड़े मारे तो कभी बंदिशों में आकर सांस तक रोक दे रक्त के कण कण में मनहूसियत का विष भर दे घुटन में रहकर पल भर को जीना दुभर कर दे भीतर की चैनियत को खुद से बेखबर कर दे! जाने कब किसको ये अपना फरिस्ता मान ले और जाने कब उससे ही सांसों की डोर बांध ले फिर खुद ही उससे चोट खाकर ऐसा रुख कर ले कि उसकी एक झलक से भी बौखला जाए, जिस आसमान के चादर में कभी चैन की नींद सोए उसी की कड़कड़ाहट से ये छिपता छिपाता फिरे, जिस धरती की गोद में ये सर रखकर रोए उसी की ज्वालामुखी से घबराकर ये दूर भागे। कोई तो इस बावरे से मन को समझावे इसकी समझ से दुनिया न टूटे न बन पावे! ©अनुपम मिश्र ©Anupam Mishra

#Morningvibes  इस बेजुबान मन की भला क्या बात करें
कभी तो चांद सूरज पर भी ये राज करे
सारी दुनिया को अपना गुलाम मान के चले
स्वच्छंद होकर लहरों की भांति हिलकोड़े मारे
तो कभी बंदिशों में आकर सांस तक रोक दे
रक्त के कण कण में मनहूसियत का विष भर दे
घुटन में रहकर पल भर को जीना दुभर कर दे
भीतर की चैनियत को खुद से बेखबर कर दे!

जाने कब किसको ये अपना फरिस्ता मान ले
और जाने कब उससे ही सांसों की डोर बांध ले
फिर खुद ही उससे चोट खाकर ऐसा रुख कर ले
कि उसकी एक झलक से भी बौखला जाए,
जिस आसमान के चादर में कभी चैन की नींद सोए
उसी की कड़कड़ाहट से ये छिपता छिपाता फिरे,
जिस धरती की गोद में ये सर रखकर रोए
उसी की ज्वालामुखी से घबराकर ये दूर भागे।

कोई तो इस बावरे से मन को समझावे
इसकी समझ से दुनिया न टूटे न बन पावे!
©अनुपम मिश्र

©Anupam Mishra

Tom and Jerry Went to the fairy To say her sorry, Tom fell down over Jerry And smashed his cherry, Jerry got angry And pushed Tom in dairy, Tom was still merry Relishing fresh milk with celery. Jerry made a discovery Tom had a poor memory He left Tom in the dairy And ran fast to the fairy But poor Tom followed Jerry ©Anupam Mishra

#TomAndJerryMovie  Tom and Jerry
Went to the fairy
To say her sorry,
Tom fell down over Jerry
And smashed his cherry,
Jerry got angry
And pushed Tom in dairy,
Tom was still merry
Relishing fresh milk with celery.
Jerry made a discovery
Tom had a poor memory
He left Tom in the dairy
And ran fast to the fairy
But poor Tom followed Jerry

©Anupam Mishra

क्या ही हो गया अगर दिल की बात जुबां पर आ जाए क्या हमारी बात से आसमान धरती पे आ गिरेगा या फिर सूरज चांद की जगह कोई और ले लेगा? क्या समंदर का जल धरती की गोद में कहीं खो जायेगा? जाने कैसे समझाऊं इस ढीठ दिले नादान को कि इसके कुछ कहने या न कहने से कुछ न बदलेगा नजरिया हर किसी का जैसा है वैसा ही रहेगा कोई उसे समझे ऐसी उम्मीद बेबुनियाद ही होगा! खोया है हमने बहुत, रोए हैं वर्षों अपलक हमारे नैन, पर कोई नहीं था जो समझाता कहां मिलेगा चैन, न जाने कितनो के आगे शीश झुका गुजारे दिन रैन पर कहीं उस मन को ठंडक ना मिली, वो रहा बेचैन। देर से ही पर ये इस बेजुबान को समझ में आया कि खुद को खुद के सिवाय और कोई भी न समझ पाया तब स्वयं को स्वयं से प्रेम करने को उकसाया, हारे हुए मन को प्यार से जीवन जीना सिखलाया! आज जीवन का आधा सफ़र तय कर चुके हम हर मोड़ पर टूटते जुड़ते हुए आगे बढ़ते रहे हम, कइयों ने साथ देने को हाथ दिखाया जरूर पर वो हाथ देखते देखते ही ओझल हो गए। अब बस ये शेष ज़िंदगी है और है ये वर्तमान जिसकी हरेक बूंद का करते हैं हम रसपान, अब इसकी परवाह ही नहीं, कैसी होगी पहचान कोई कहे बेशरम अधम या फिर कहे महान! ©अनुपम मिश्र ©Anupam Mishra

#TakeMeToTheMoon  क्या ही हो गया अगर दिल की बात जुबां पर आ जाए
क्या हमारी बात से आसमान धरती पे आ गिरेगा
या फिर सूरज चांद की जगह कोई और ले लेगा?
क्या समंदर का जल धरती की गोद में कहीं खो जायेगा?
जाने कैसे समझाऊं इस ढीठ दिले नादान को
कि इसके कुछ कहने या न कहने से कुछ न बदलेगा
नजरिया हर किसी का जैसा है वैसा ही रहेगा
कोई उसे समझे ऐसी उम्मीद बेबुनियाद ही होगा!
खोया है हमने बहुत, रोए हैं वर्षों अपलक हमारे नैन,
पर कोई नहीं था जो समझाता कहां मिलेगा चैन,
न जाने कितनो के आगे शीश झुका गुजारे दिन रैन
पर कहीं उस मन को ठंडक ना मिली, वो रहा बेचैन।
देर से ही पर ये इस बेजुबान को समझ में आया 
कि खुद को खुद के सिवाय और कोई भी न समझ पाया
तब स्वयं को स्वयं से प्रेम करने को उकसाया,
हारे हुए मन को प्यार से जीवन जीना सिखलाया!
आज जीवन का आधा सफ़र तय कर चुके हम
हर मोड़ पर टूटते जुड़ते हुए आगे बढ़ते रहे हम,
कइयों ने साथ देने को हाथ दिखाया जरूर
पर वो हाथ देखते देखते ही ओझल हो गए।
अब बस ये शेष ज़िंदगी है और है ये वर्तमान
जिसकी हरेक बूंद का करते हैं हम रसपान,
अब इसकी परवाह ही नहीं, कैसी होगी पहचान
कोई कहे बेशरम अधम या फिर कहे महान!
©अनुपम मिश्र

©Anupam Mishra

तुम हो या न हो मैं हूं या न हूं हम साथ हों ना हो क्या फर्क पड़ता है? सूरज होगा चांद तारे होंगे होंगी ये बहारें बरसेंगी फुहारें! मेरा तुम्हारा क्या ना तो कल हमसे था ना ही कल हमसे होगा बस हम हैं, तुम हो एक समय की बात है जो धूल में घुल जायेगा इतिहास बनकर रह जाएगा ©Anupam Mishra

#MorningTea  तुम हो या न हो
मैं हूं या न हूं
हम साथ हों ना हो
क्या फर्क पड़ता है?
सूरज होगा
चांद तारे होंगे
होंगी ये बहारें
बरसेंगी फुहारें!
मेरा तुम्हारा क्या
ना तो कल हमसे था
 ना ही कल हमसे होगा
बस हम हैं, तुम हो
एक समय की बात है
जो धूल में घुल जायेगा
इतिहास बनकर रह जाएगा

©Anupam Mishra

#MorningTea

10 Love

मेरे प्यारे बीते हुए लम्हें, शुक्रगुजार हूं तुम्हारे तुम्हारे साथ के लिए, तुम्हारे हर रस व राग के लिए, तुम जैसे आए पास मेरे वैसे ही आकर चले गए, और छोड़ गए कुछ यादें कुछ शहद सी मीठी, कुछ लाल मिर्च सी तीखी, और कुछ इमली सी खट्टी जो कभी नमकीन पानी संग आंखों से टपक पड़ती है © अनुपम मिश्र ©Anupam Mishra

#खत  मेरे प्यारे बीते हुए लम्हें,
शुक्रगुजार हूं तुम्हारे
तुम्हारे साथ के लिए,
तुम्हारे हर रस व राग के लिए,
तुम जैसे आए पास मेरे
वैसे ही आकर चले गए,
और छोड़ गए कुछ यादें
कुछ शहद सी मीठी, 
कुछ लाल मिर्च सी तीखी,
और कुछ इमली सी खट्टी
जो कभी नमकीन पानी संग
आंखों से टपक पड़ती है
© अनुपम मिश्र

©Anupam Mishra

#खत

14 Love

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