Saurabh

Saurabh Lives in Delhi, Delhi, India

हर दौर से गुजर रहा हूँ, हर रंग में जीना आता हैं....💞

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सफर में जिसने ठोकर खाई वो एतबार था.. जो गिरकर बिखर गई वो मोहब्ब्त थी.. इश्क में हम हारे सो हारे, हमे हराकर तुम तो जीत गए होते.. हमने नींद खोई सो खोई, हमे जगाकर तुम तो सो गए होते.. यहां मोहब्बत कपड़े भी बदलती है नंगी भी होती है, नई नस्ल है रांझे, सूरत के पार कहा सीरत होती है.. अब बुझा दो वफा का चिराग अपना, क्योंकि यहां हीर जेवर भी बदलती है और तेवर भी.. ©Saurabh

 सफर में जिसने ठोकर खाई वो एतबार था..
जो गिरकर बिखर गई वो मोहब्ब्त थी..

इश्क में हम हारे सो हारे,
हमे हराकर तुम तो जीत गए होते..

हमने नींद खोई सो खोई,
हमे जगाकर तुम तो सो गए होते..

यहां मोहब्बत कपड़े भी बदलती है नंगी भी होती है,
नई नस्ल है रांझे, सूरत के पार कहा सीरत होती है..

अब बुझा दो वफा का चिराग अपना,
क्योंकि यहां हीर जेवर भी बदलती है और तेवर भी..

©Saurabh

सफर में जिसने ठोकर खाई वो एतबार था.. जो गिरकर बिखर गई वो मोहब्ब्त थी.. इश्क में हम हारे सो हारे, हमे हराकर तुम तो जीत गए होते.. हमने नींद खोई सो खोई, हमे जगाकर तुम तो सो गए होते.. यहां मोहब्बत कपड़े भी बदलती है नंगी भी होती है, नई नस्ल है रांझे, सूरत के पार कहा सीरत होती है.. अब बुझा दो वफा का चिराग अपना, क्योंकि यहां हीर जेवर भी बदलती है और तेवर भी.. ©Saurabh

9 Love

#weekendvibes

ओ, काश ऐसा हो सकदा, वे मैं तेरी हो जांदी.. जख्म लगे तेनू, सांस मेरी ये रूक जांदी.. जो तू गया माही, मैं ता तेरे ही पीछे तुरना, मेरी सांस क्या चीज है, रब भी झुकेगा सजना.. ओ, फिर रब वेखेगा, तेरे लिए इश्क जान तो प्यारा, ओ, मैथों तेरी हो जाना.. ©Saurabh

 ओ, काश ऐसा हो सकदा,
वे मैं तेरी हो जांदी..
जख्म लगे तेनू, सांस मेरी ये रूक जांदी..

जो तू गया माही, मैं ता तेरे ही पीछे तुरना,
मेरी सांस क्या चीज है, रब भी झुकेगा सजना..

ओ, फिर रब वेखेगा,
तेरे लिए इश्क जान तो प्यारा,
ओ, मैथों तेरी हो जाना..

©Saurabh

ओ, काश ऐसा हो सकदा, वे मैं तेरी हो जांदी.. जख्म लगे तेनू, सांस मेरी ये रूक जांदी.. जो तू गया माही, मैं ता तेरे ही पीछे तुरना, मेरी सांस क्या चीज है, रब भी झुकेगा सजना.. ओ, फिर रब वेखेगा, तेरे लिए इश्क जान तो प्यारा, ओ, मैथों तेरी हो जाना.. ©Saurabh

9 Love

ओ, काश ऐसा हो सकदा, वे मैं तेरी हो जांदी.. जख्म लगे तेनू, सांस मेरी ये रूक जांदी.. जो तू गया माही, मैं ता तेरे ही पीछे तुरना, मेरी सांस क्या चीज है, रब भी झुकेगा सजना.. ओ, फिर रब वेखेगा, तेरे लिए इश्क जान तो प्यारा, ओ, मैथों तेरी हो जाना.. ©Saurabh

 ओ, काश ऐसा हो सकदा,
वे मैं तेरी हो जांदी..
जख्म लगे तेनू, सांस मेरी ये रूक जांदी..

जो तू गया माही, मैं ता तेरे ही पीछे तुरना,
मेरी सांस क्या चीज है, रब भी झुकेगा सजना..

ओ, फिर रब वेखेगा,
तेरे लिए इश्क जान तो प्यारा,
ओ, मैथों तेरी हो जाना..

©Saurabh

ओ, काश ऐसा हो सकदा, वे मैं तेरी हो जांदी.. जख्म लगे तेनू, सांस मेरी ये रूक जांदी.. जो तू गया माही, मैं ता तेरे ही पीछे तुरना, मेरी सांस क्या चीज है, रब भी झुकेगा सजना.. ओ, फिर रब वेखेगा, तेरे लिए इश्क जान तो प्यारा, ओ, मैथों तेरी हो जाना.. ©Saurabh

10 Love

ये जो याद होती है बड़ी कमाल होती है यारो, उसे चाहा भी तो कितने अदब से यारो, उसे जाने दिया उसकी खुशी से यारो.. नाम लिखा तो आंसू स्याही बन गए यारो, उसे याद किया तो कितने अदब से यारो.. उसका हर अंदाज कागज पर लिखा यारो, उसे भुलाया भी तो कितने अदब से यारो.. ©Saurabh Saini

 ये जो याद होती है बड़ी कमाल होती है यारो,
उसे चाहा भी तो कितने अदब से यारो,
उसे जाने दिया उसकी खुशी से यारो..

नाम लिखा तो आंसू स्याही बन गए यारो,
उसे याद किया तो कितने अदब से यारो..

उसका हर अंदाज कागज पर लिखा यारो,
उसे भुलाया भी तो कितने अदब से यारो..

©Saurabh Saini

#Love #experience #shayri #wetogether

10 Love

हमारे पास तो आओ बड़ा अंधेरा है कहीं न छोड़ के जाओ बड़ा अंधेरा है.. कोई सितारा नहीं पत्थरों की पलकों पर कोई चराग़ जलाओ बड़ा अँधेरा है.. हक़ीक़तों में ज़माना बहुत गुज़ार चुके कोई कहानी सुनाओ बड़ा अँधेरा है.. किताबें कैसी उठा लाए मय-कदे वाले ग़ज़ल के जाम उठाओ बड़ा अँधेरा है.. ग़ज़ल में जिस की हमेशा चराग़ जलते हैं उसे कहीं से बुलाओ बड़ा अँधेरा है.. वो चाँदनी की बशारत है हर्फ़-ए-आख़िर तक 'बशीर-बद्र' को लाओ बड़ा अँधेरा है.. ©Saurabh Saini

#covidindia  हमारे पास तो आओ बड़ा अंधेरा है
कहीं न छोड़ के जाओ बड़ा अंधेरा है..

कोई सितारा नहीं पत्थरों की पलकों पर 
कोई चराग़ जलाओ बड़ा अँधेरा है..

हक़ीक़तों में ज़माना बहुत गुज़ार चुके 
कोई कहानी सुनाओ बड़ा अँधेरा है..

किताबें कैसी उठा लाए मय-कदे वाले 
ग़ज़ल के जाम उठाओ बड़ा अँधेरा है..

ग़ज़ल में जिस की हमेशा चराग़ जलते हैं 
उसे कहीं से बुलाओ बड़ा अँधेरा है..

वो चाँदनी की बशारत है हर्फ़-ए-आख़िर तक 
'बशीर-बद्र' को लाओ बड़ा अँधेरा है..

©Saurabh Saini
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