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shayar
Amar ujala
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हम मरिजे इश्क़ है साहब मयख़ाने को दवाख़ाना कहते हैं ✍️अमर
17 Love
एक चराग़ हूं इस ज़माने के लिए हवा बेचैन रहता है मुझे बुझाने के लिए .. ✍️अमर
12 Love
मैंने मना ज़ानाब पिता हूं बा ख़ुदा बेहिसाब पिता हूं लोग लोगों का ख़ून पीते हैं मै तो फिर भी शराब पीता हूं
13 Love
यक़ीनन मै तुम्हे चांद बुलाता... मगर लोग तुझे रात भर देखे ये मुझे गंवारा नहीं । ✍️अमर
16 Love
फ़क़त कहने से डरता होगा आईना भी तो मारता होगा । ✍️अमर
19 Love
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