shailja ydv

shailja ydv Lives in Jamshedpur, Jharkhand, India

slippy mind

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#कविता  White सुकून 
 
गर्मी की तपिश से धरती पर 
ज़ब  बारिश  की पहली बून्द आती है, 
और उसमे से जो भींनी-भींनी खुशबू आती है 
उस भींनी खुशबू सी हूँ मै तुम्हारी जिंदगी में। 
 
उस खुशबू के साथ ज़ब हल्की-हल्की हवाएं बहती हैं, 
और आँखे मूंद कर 
ज़ब तुम्ह उन्हें अपने साँसो से अंदर महसूस करते हो, 
कुछ उस हवा की तरह हूँ 
मै तुम्हारी जिंदगी में। 
 
  बारिशों की बूंद से ज़ब, 
 एक- एक बूंद की आवाज़ आती हैं तुम्हारे कानो में, 
 कुछ उस गूंज सी हूँ मै तुम्हारे शांत सी जिंदगी में। 
 
बारिश होने के पश्चात, 
जो सुकून की नींद आती है,
 वो नींद हूँ मै तुम्हारी जिंदगी की।

©shailja ydv

सुकून

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#विचार  *कभी तो मुझे बड़ा होने दो * 
   
कब- तक  बच्चा समझते रहोगे,?
कभी तो बड़ा होने दो। 
कब -तक गिरते हुए मुझे सहारा दोगे?
कभी तो गिर कर खुद से उठने दो। 
कब -तक सही मार्ग का अनुसरण कराते रहोगे?
कभी तो गलत से सही मार्ग पर खुद से आने तो दो। 
कब -तक साथ चलोगे मेरे?
कभी तो अकेले मंजिलों को नापने दो। 
कब- तक मेरे डूबते हुए हाथ पकड़ कर बाहर लाओगे?
कभी तो खुद से तैर कर मझधार से बाहर आने तो दो।  
कब -तक  कुंए के अंदर की दुनियां में रखोगे?
कभी तो, समुन्द्र की घहराई में उतरने तो दो। 
 उड़ान भरने के लिए पैदा हुआ हूँ मैं, 
कभी तो "पर " फैला कर आसमान को छूने तो दो।
मेरे अपनों कब -तक मुझे बच्चा समझते रहोगे?
कभी तो मुझे बड़ा होने तो दो। 
शैलजा यादव 😊

©shailja ydv

कभी तो बड़ा होने दो

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#विचार  **बौद्ध धर्म शांति का धर्म** 

  जब -जब मन उदास होता है, 
चली जाती हूँ मैं, 
अपनी खिड़की पर, 
औ'घंटों निहारती हूँ 
उस पीपल के पेड़ को, 
जो सदा की ही भांति 
शांत,मौन और स्थिर भाव से, 
हिलते हुये मुझे धैर्य औ साहस देता है। 
 
ऐसा लगता है.!! 
मानों कह रहा हो 
"जिंदगी के रहस्य को समझो, 
मगर उलझो मत, 
उसे जिओ,मगर रोओ मत। 
 
इसी जीवन को  
समझने की चाह ने, 
राजकुमार सिद्धार्थ को
 "बुद्ध " बना दिया । 
पर.. 
एक सच है, 
मुझमें ही सारी शांति निहित  है।

©shailja ydv

बुद्ध पूर्णिमा

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कभी - कभी अपने मनपसंद के इंसान से दूर होने पर उससे बहुत बातें करने का मन करता है, और उसे बस सुनने का मन करता है, पर...कॉल करने पर पता चलता है कि सामने वाले का मन है ही नहीं बात करने का और उस वक़्त लगता है कि कहाँ -कहाँ से बातें लाऊँ, कौन-कौन सी ऐसे बीते किस्से सुनाऊं कि वो बस रुक जाये कुछ पल के लिए बस ठहर जाये एकाध-मिनट के लिए, पर.... अंदर से आवाज़ आती है, जाने दो,रख दो फोन, कुछ अनबन हो जाये उससे बेहतर है कि bye बोलो और खुद के लिए एक पल एकांत ले लो। ©shailja ydv

#विचार #aaina  कभी - कभी अपने मनपसंद के इंसान से दूर होने पर 
उससे बहुत बातें करने का मन करता है, 
और उसे बस सुनने का मन करता है, 
पर...कॉल करने पर पता  चलता है कि 
सामने वाले का मन है ही नहीं बात करने का 
और उस वक़्त लगता  है कि 
कहाँ -कहाँ से बातें लाऊँ, 
कौन-कौन सी ऐसे बीते किस्से सुनाऊं कि 
वो बस रुक जाये कुछ पल के लिए 
बस ठहर जाये एकाध-मिनट के लिए, 
पर.... 
अंदर से आवाज़ आती है, 
जाने दो,रख दो फोन, 
कुछ अनबन हो जाये उससे बेहतर है कि 
bye बोलो और खुद के लिए  एक पल एकांत ले लो।

©shailja ydv

#aaina बातें

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#ज़िन्दगी #relaxation  आज समझ आया की व्यस्तता ही जीवन है,
आराम बस एक रोग है,
ज़ब आराम ज्यादा हो जाता है तब 
मन और शरीर का नाश पहले होने लगता है।
ग़र जीवन में 
सुबह की नित्य- क्रिया,
रसोईघर की क्रिया,
और बस आराम हो,
तो एक घुटन होने लगती है,
एक ही काम से और रोज के आराम से,
मन भागने लगता है,
 एक ही वातावरण के आवरण से।
अजीब सी बेचैनी मन को घेरने लगती है,
न जाने कितनी बीती बातें,
कितने सपने सब आँखों के सामने से 
नाचते -भागते दिखते हैं।
 इसलिए हे मन, हे मानुष, हे नारी
तू व्यस्त रह,
मस्त रह,
कर्मठ रह,
भागता रह,
नाचता रह,
अपने सपने, अपनी उड़ान
के पीछे उड़ता रह।
क्यों आराम बस एक रोग है।

©shailja ydv

#relaxation आराम बस एक रोग है

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पति -पत्नी और तकरार दो लोग ज़ब शादी के बंधन में बंधते हैं तो वो रिश्ता बहुत पाक माना जाता है। पवित्र बंधन का नाम शायद विवाह को ही दिया गया है। पर विवाह के उपरांत ज़ब छोटी-छोटी बातों की टकराहट होने लगती है, तब रिश्ते की पवित्रता मानो कहीं खो सी जाती है। इस रिश्ते में जुड़ने से पहले, और शादी होने तक किसने, क्या- क्या बात बोलीं और कब- कब बोली, वो सब बात दोनों पक्षों के मन में रह जाती है। और यही बात शादी के बाद इस पवित्र रिश्ते की "पवित्रता" को, 'पाक' से' ख़ाक' की तरफ लें जाते हैं। चाहे मर्द प्रधान हो या स्त्री, पर बात ज़ब " दफन" होकर" कफ़न" से बाहर आने लगे, तब लगता है, मानो इससे बेकार रिश्ता कोई हो नहीं सकता। आखिर लोग आगे की न सोच कर,. बीते शुरुआती दिनों को लेकर टोंट क्यों मारते हैं? तो क्यों न इस रिश्ते में बँधने के बाद, दोनों बीती- बातों को माफ़ करते हैं और आगे का रास्ता साफ करते हैं एक नयी शुरुआत के लिए, अपने लिए, अपनों के लिए और आने वाले सुंदर भविष्य के लिए। शैलजा यादव ©shailja ydv

#ज़िन्दगी #GingerTea  पति -पत्नी और तकरार  



दो लोग ज़ब शादी के बंधन में बंधते हैं तो वो रिश्ता बहुत पाक माना जाता है।
पवित्र बंधन का नाम शायद विवाह को ही दिया गया है।
पर विवाह के उपरांत ज़ब छोटी-छोटी बातों की टकराहट होने लगती है, 
तब रिश्ते की पवित्रता मानो कहीं खो सी जाती है।

 इस रिश्ते में जुड़ने से पहले, और शादी होने तक 
किसने, क्या- क्या बात बोलीं और कब- कब बोली, 
वो सब बात  दोनों पक्षों के मन में रह जाती है।
और यही बात शादी के बाद
 इस पवित्र रिश्ते की "पवित्रता" को,
'पाक' से' ख़ाक' की तरफ लें जाते हैं।
चाहे मर्द प्रधान हो या स्त्री,
पर बात ज़ब " दफन" होकर" कफ़न" से बाहर आने लगे,
 तब लगता है,
मानो इससे बेकार रिश्ता कोई हो नहीं सकता।
आखिर लोग आगे की न सोच कर,.
 बीते शुरुआती दिनों को लेकर टोंट क्यों मारते हैं?

तो क्यों न इस रिश्ते में बँधने के बाद,
दोनों बीती- बातों को माफ़ करते हैं 
और आगे का रास्ता साफ करते हैं 
एक नयी शुरुआत के लिए,
अपने लिए, अपनों के लिए और आने वाले सुंदर भविष्य के लिए।
शैलजा यादव

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#GingerTea पति -पत्नी और तकरार

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