पति -पत्नी और तकरार
दो लोग ज़ब शादी के बंधन में बंधते हैं तो वो रिश्ता बहुत पाक माना जाता है।
पवित्र बंधन का नाम शायद विवाह को ही दिया गया है।
पर विवाह के उपरांत ज़ब छोटी-छोटी बातों की टकराहट होने लगती है,
तब रिश्ते की पवित्रता मानो कहीं खो सी जाती है।
इस रिश्ते में जुड़ने से पहले, और शादी होने तक
किसने, क्या- क्या बात बोलीं और कब- कब बोली,
वो सब बात दोनों पक्षों के मन में रह जाती है।
और यही बात शादी के बाद
इस पवित्र रिश्ते की "पवित्रता" को,
'पाक' से' ख़ाक' की तरफ लें जाते हैं।
चाहे मर्द प्रधान हो या स्त्री,
पर बात ज़ब " दफन" होकर" कफ़न" से बाहर आने लगे,
तब लगता है,
मानो इससे बेकार रिश्ता कोई हो नहीं सकता।
आखिर लोग आगे की न सोच कर,.
बीते शुरुआती दिनों को लेकर टोंट क्यों मारते हैं?
तो क्यों न इस रिश्ते में बँधने के बाद,
दोनों बीती- बातों को माफ़ करते हैं
और आगे का रास्ता साफ करते हैं
एक नयी शुरुआत के लिए,
अपने लिए, अपनों के लिए और आने वाले सुंदर भविष्य के लिए।
शैलजा यादव
©shailja ydv
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