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adhuri hai jindagi fir bhi pura sa jeeta hun mein#proud #transman
उसकी दी अंगूठी जो नहीं देखी आज उसने मेरी ऊँगली में कहने लगी सब बदल दिया तुमने अपने किए सितम एक ही दफा भूल गई वो
bisht rana
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जिनकी औकात नहीं हमें पाने की उनसे दिल साँझा कर बैठे हम कलयुग में राँझा बन बैठे
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जिंदगी से निकाल दिया उसे अब ना मैं लौटूँगा
मैं वो रावण हूँ जिसे तूने राम बनाया था तू बदली तो मैं वही क्यूँ रहूँ
4 Love
तेरा हर सितम जहन में रख रहा हूँ वक्त आने पर हिसाब लूँगा
जो बिक जाती है दो मीठी बातों से ऐसी मुहब्बत जहर है जिंदगी में
8 Love
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