नमस्कार मेरा है सुशील कुमार ।मुझे कविताओं का बहुत शौक हैं लिखने का सुनने का और जो दिल को भाजाये उसे अपनी आवाज़ में पिरोने का । चित्रकारी ,संगीत, प्राकृतिक जगहों पर घूमना बहुत अच्छा लगता हैं।प्रकृति हमारी माता है और इसके कण-कण में ज्ञान हैं यह हमारी वास्तविक गुरु भी है और सबसे बड़ी दानी भी हैं इसलिए यह हमारा कर्तव्य है कि हम इसकी रक्षा करें।
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