White जहां दिन रात सुनती थी किसी नए मेहमान के आने की किलकारियां
वहां मेरी चीखे दब कर आखिर क्यूं रह गई ?
मम्मा !! आप ही तो कहते थे न की हमेशा सच के लिए लड़ना
तो क्या गुनाह हुआ मुझसे जो मैं जीत न सकी ?
नही .. न थी मैं गलत कपड़ो में न ही देर रात निकली थी
लोगो की जान बचाने की कसमें थी मेरे पर , सफेद कोर्ट ही मेरी वर्दी थी
सपने पूरे कर.. आज मैं उस सपने की मंजिल पर ही थी
मूंदकर भरोसा था जिस दहलीज पर मुझे
वो ही क्यों मेरे खून से लाल हो चली थी
मम्मा !! पापा !! हां बेहद दर्द हुआ ... आंखो से आसू भी बह चले थे
लेकिन बंद होती उन आंखो ने सिर्फ उस वक्त एक ही दुआ फिर से मांगी थी
इस जन्म में जो अधूरी रह गई है ख्वाइश आपकी उन्हे अगली बार पूरा करने आऊंगी
बेटा नही, मैं आपकी फिर से बेटी ही कहलाऊंगी
मैं आपकी बेटी ही कहलाऊंगी
©jiyaa
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