मेरा आज भी तो तेरे कल की ही कहानी है,
मेरी बर्बादी का कारण बस तेरी ही तो जवानी है।
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हर मोहल्ले में किस्से हमारी अफरातफरी के थे,
जितने थे चाहने वाले उतने ही हमारे खबरी भी थे।
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हमारे शराफ़त के किस्से गलियों में शुरू हुए ही थे
की एक दिन चौराहे पे तेरा दीदार हो गया।
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ज़माने ने कभी तुझे मेरा होने ही कहाँ दिया,
जो कुछ भी था बचा खुचा उसे रिश्तेदारों ने तबाह कर दिया ।
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मश्वरा है हमारे अनुभव का लेते जाओ जनाब,
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मश्वरा है हमारे अनुभव का लेते जाओ जनाब,
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कहाँ कभी कोई सुनाएगा बिना पन्नो की ये किताब।
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इश्क़ है, तो बस है ऐसा, इसका कुछ कर नही सकते,
इश्क़ है, तो बस है ऐसा, इसका कुछ कर नही सकते...
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किसी को बना देती है , तो किसी को कर देती है ख़राब।।
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