अनुज

अनुज

लखनऊ, भारत

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 White कर रहा हूं रात दिन
और कितना श्रम करूं 
फटी हुई कमीज को
और कितना नम करूं 
जी रहा हूं मार कर मन
छोड़ता मैं सब गया
ख्वाहिशों की कतारें 
और कितना कम करूं
                     कर रहा हूं रात दिन
                     और कितना श्रम करूं
रोज कन्धे सह रहे है
बोझ जिम्मेदारीयों का
नजरे छिपाते चल रहे
जाने कितने उधरियों का,
बालकों सा चंचल बनू
और फिर बहुत उधम करूं
मन मेरा भी चाहता है,
कम थोड़ा परिश्रम करूं 
                     कर रहा हूं रात दिन
                     और कितना श्रम करूं
माता पिता भूखे रहे
या बच्चों का बचपन छीन लूं
पत्नि के सुख को मार कर 
खुशियों के आंसु बीन लूं
खुद को खुद ही मार कर,
दुखों को यूं खत्म करूं,
या फिर सुखों की पोटली,
पाने का मै वहम करूं
                     कर रहा हूं रात दिन
                     और कितना श्रम करूं

©अनुज

@Pushpvritiya @Divya Joshi Sudha Tripathi RAVINANDAN Tiwari

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#wallpaper  White इतने ऊंचे ऊंचे पर्वत,
इतनी नीची नदिया क्यों 
कल ही छोड़ा साथ तुम्हारा, 
लगती जैसे सदियां क्यों,
आओ ! हमारे पास रहो,
जैसे बादल से पर्वत मिलते है,
मैं बन कींच,कमल तुम बनो,
चलो साथ में खिलते है,
दिन में रोज उजाला है,
पर अंधकार में रतियाँ क्यों,
इतने ऊंचे ऊंचे पर्वत,
इतनी नीची नदिया क्यों.....
तुमको वन उपवन समझूं 
खुद को बारिश की बूंदे
इतना प्रेम समर्पण है,
फिर गहराई में क्यों कूदे 
सारे वृक्ष बुजुर्गो ने,
हिल-हिल कर सहमति दे डाला,
सबने सहज रूप स्वीकार किया,
फिर पीछे इतनी बतिया क्यों
इतने ऊंचे ऊंचे पर्वत,
इतनी नीची नदिया क्यों...

©अनुज

#wallpaper

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White तारे गिन कर रात बिताना अच्छा है, जैसे हो हालात बिताना अच्छा है, कौन बनेगा जाने किसकी परछाईं जीवन अपने साथ बिताना अच्छा है, बिन छत के बरसात बिताना अच्छा है, प्यार में अपना ताना बाना अच्छा है, वैसे तो परहेज मुझे सबसे घर में, पर तेरा घर में आना जाना अच्छा है, ©अनुज

#love_shayari  White तारे गिन कर रात बिताना अच्छा है,
जैसे हो हालात बिताना अच्छा है,
कौन बनेगा जाने किसकी परछाईं 
जीवन अपने साथ बिताना अच्छा है,

बिन छत के बरसात बिताना अच्छा है,
प्यार में अपना ताना बाना अच्छा है,
वैसे तो परहेज मुझे सबसे घर में,
पर तेरा घर में आना जाना अच्छा है,

©अनुज

#love_shayari

13 Love

#love_shayari  White मैं सिमट कर प्रेम में, गुमनाम हो जाऊं,
तू मेरा और मैं तेरा आयाम हो जाऊं,
टूटकर चाहे मुझे गर कोई मीरा तो,
मैं राधा का कन्हैया और सीता राम हो जाऊं।

©अनुज

#love_shayari

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White कैसे ज्यों के त्यों रहे, प्रेम को कैसे करे परिभाषित, कैसे बिन आलिंगन, प्रेम को रखें मर्यादित हां, मैं स्पष्टता को प्रमाणित करना चाहता हूं, परन्तु, बिना शब्दों के अनुवादित कोई छद्म और बिना भेद भाव, जहां सिर्फ प्रेम हो, और हो शब्दों का आभाव, जहां समझ सके सिकुड़न, माथे की हम, और अंतर्मन के पीड़ा को, मिल जाए थोड़ा ठहराव, हां! अगर किंचित मात्र भी, मन सकुचा जाए, या फिर की कोई और, हृदयतल में घर कर जाए, निरुत्तर, सांझ न होने देना, अपने नयनों को, अश्रु मगन होने देना, बस इतना ही हो, कि मैं अपना आधार बदल दूंगा, लिखे पृष्ठ प्रेम सहित, श्रृंगार बदल दूंगा, कहे वचन को फिर न, मैं धूमिल होने दूंगा, हे प्रियशी! बीज प्रेम के, मन में, फिर न बोने दूंगा, न ही स्वयं को मैं, तुम पर होने दूंगा आश्रित, न मन में प्रश्न एक भी, न तुमको खुद पर होने दूंगा आच्छादित, चलो रहे ज्यों के त्यों, और करे प्रेम को परिभाषित। ©अनुज

#love_shayari  White  कैसे ज्यों के त्यों रहे,
प्रेम को कैसे करे परिभाषित,
कैसे बिन आलिंगन,
प्रेम को रखें मर्यादित 
हां, मैं स्पष्टता को
प्रमाणित करना चाहता हूं,
परन्तु, बिना शब्दों के अनुवादित
कोई छद्म और बिना भेद भाव,
जहां सिर्फ प्रेम हो, और
हो शब्दों का आभाव,
जहां समझ सके सिकुड़न,
माथे की हम,
और अंतर्मन के पीड़ा को,
मिल जाए थोड़ा ठहराव,
हां! अगर किंचित मात्र भी,
मन सकुचा जाए,
या फिर की कोई और,
हृदयतल में घर कर जाए,
निरुत्तर, सांझ न होने देना,
अपने नयनों को,
अश्रु मगन होने देना,
बस इतना ही हो,
कि मैं अपना आधार बदल दूंगा,
लिखे पृष्ठ प्रेम सहित,
श्रृंगार बदल दूंगा,
कहे वचन को फिर न,
मैं धूमिल होने दूंगा,
हे प्रियशी! बीज प्रेम के,
मन में, फिर न बोने दूंगा,
न ही स्वयं को मैं,
तुम पर होने दूंगा आश्रित,
न मन में प्रश्न एक भी,
न तुमको खुद पर 
होने दूंगा आच्छादित,
चलो रहे ज्यों के त्यों,
और करे प्रेम को परिभाषित।

©अनुज

#love_shayari @Pushpvritiya @RAVISHANKAR PAL @Divya Joshi Sudha Tripathi Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"

20 Love

#nojohindi #Remember  फिर तुम्हारी बातें और मुलाकातें
चलो आगे बढ़ते हैं....
आंसू आंखों में है, ऊपर से बरसातें
चलो आगे बढ़ते हैं....
आखिर कब तक छिपकर तुमसे 
यूं मिलना हो पायेगा
कोई  देख न‌ ले आते जाते
चलो आगे बढ़ते हैं....

©अनुज
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