मुर्शीद जिंदगी के हिस्से में कभी कोई परेशान ना हो
इससे अच्छा कि छीन ले जिंदगी तो कोई हैरान ना हो
तजुर्बे है सो दुआ करता हूं परवरदिगार से
इश्क हो किसी को तो गरीबी के दौरान ना हो
सिसकियां पैदा हो किसी की और दफन हो जाए
और किसी भी मस्जिद में इसका ऐलान ना हो
किसी से दिल लगाने से पहले क्या राय है तेरी
अपनाने से पहले छोड़ दें तो ज्यादा नुकसान ना हो
इबादत अब तक फजूल कि मैंने तेरी गालिब
अब तो ये है कि जहां भगवान हो वहां इंसान ना हो
शुक्रिया के मेरे दर्द को कलाकारी कहा गया
मैं सोचता भी यही था कि मेरी पहचान ना हो...
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