तेरी बाहों में रहना है मगर मैं मौसम बरसात का प्रय
तू हरियाली है और मैं मौसम पतझड़ का प्रिय
तू रात पोर्णिमा की , मै अमावस का चांद प्रिय
तू फोल गुलाब का मै जंगली बोगणविला प्रिय
तू शन बगीचों की ,मै बेहड़ की आं प्रिय
तू जल है गंगा की मै एक बेहती धर प्रिय
तू है मधु मधुशाला की मैं एक खाली प्याला प्रिय
तुझे बना लो मैं अपना मगर तू है परि सवर्गों की मैं एक तुच्छ मानव प्रिय
तू उगता सूरज मै ढलती शाम प्रिय
तू कविता प्रेम रस की मै राजनीतिक जुमला प्रिय
तू रानी मेरे सपनों की मै तेरे लिया बस एक और लड़का प्रिय
तेरी शेर की गलियां जन्नत , तेरी दहलीज स्वर्ग प्रिय
तू मेरा सपनों की रानी प्रिय।
©गोविंद बाली 3rd May 2020
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