White हृदय चन्द्रमा ! एक नया बहाना ढूंढता है,
हवाओ मे बहता हुआ बातों की बाते करता है,
मुस्कुराता मोह मोहि के मोह में,
फिर एक नया बहाना ढूंढ़ता है ।
काली अंधेरी चादर में चुपके से,
चंचल चित तकता है,
बातों ही बातों में न जाने कितनी बाते बुनता है,
फिर एक नया बहाना ढूंढता है।
छू कर रजनी सी रश्मी,
कुछ कौतुक सी बाते करता है,
न जाने कैसी सी बाते करता है,
न जाने कौन सी बाते सुनता है ।
एकांत अनवरत सी चित गंगा में,
कोलाहल और ध्वनि संगीत सुनता है,
प्रसंग प्रीत सब रीत यही है,
हृदय चन्द्रमा ! एक नया बहाना ढूंढता है....
प्रेरणा "युक्ता"
©Prerana"Yukta"
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