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हर कहानी ओर कविता का सार हुँ मे जब तक हुँ ,बहोत कुछ हुँ वरना बेकार हुँ मे" 🏆🏆🏆🏆🏆🏆🏆🏆🏆🏆🏆🏆
Kavi Ashok samrat
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किसी शायर ने क्या खूब लिखा है कि ये चन्द लोग... जो हमारी बस्ती में सबसे अच्छे है उन्ही का हाथ है हमें बुरा बनाने में।। ©Kavi Ashok samrat
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खजाना सौंप कर मुझको, किस दोलत कि खोज में हो किसी ने नशा कराया है क्या तुमको ...तुम होश मे तो हो क्या तुम जाना चहाती हो उन बहुमंजिला मकानों में जहां आज भी रिश्ते बन्द है... बड़े बड़े तहखानों मे ओर जिनके घरों और गाड़ीयों के शीशों में अन्दर की तरफ़ आज भी नहीं दीखता क्या वो ... इन्सानियत ढुंढ पाएंगे इन्सानों में ©Kavi Ashok samrat
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Friday, 17 June | 06:00 pm
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मोहब्बत को बदनाम हमने कर रखा है मोहब्बत की औकात इतनी कहा़ं ..…जो हमें बदनाम कर दे ©Kavi Ashok samrat
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हम तो उड़ते गगन के बादल है जनाब ना जाने... हवा किस ओर खींच ले ©Kavi Ashok samrat
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