ये मानव भी कैसा मानव है,
जो हरण भी करता है और भरण भी
करता है।
हरण करके अपनी तिस्ना को मिटाता है
और भरण करके,
इस उपवन को महकता है।
ये मानव भी कैसा मानव है..
कभी प्रकृति के साथ खेलता है
कभी प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करता है
ये मानव भी कैसा मानव है..
@भरत.......
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