🌸क्या देखा मैंने🌸
निकट थी,माँ दुर्गा की रात...
हम सबके चेहरे पर थी... ख़ुशी की आस..
उस रात हमे देखनी थी... माँ दुर्गा की पूजा...
इसकी खुशी से ही मिल रही थी...एक नयी ऊर्जा...
लेकिन देखा कुछ ऐसा....
जिसका समाज के साथ था नाता...
अचानक मेरी नजर उस पर पडी....
और स्तब्ध सी रह गयी... मैं खड़ी...
उसकी नन्ही सी पीठ पर...था भारी बोझ...
और सिर से पैर तक चढ़ी थी धूल...
जिसको देखकर मेरे दिल मे चुभा एक शूल...
मैं चुप थी... लेकिन दिल मे उमड़ पड़ा तूफ़ान...
कहा दिल ने दिमाग से... कि कब खत्म होगा ये अपमान...
नफरत है, मुझे ऐसे समाज से...
जहाँ नन्हें बच्चे ना रह सके, आजाद से..
क्या ये बच्चे, वंचित रहेंगे हमेशा उमंग से...
क्या ये समाज, ना बदलेगा अपने बेढंग से...
इस तरह तो लुट जाएंगे.... इनके सपने...
मर जाएगी भावना... और खत्म हो जाएगी संवेदना...
उसकी नन्ही नजर मुझ पर गयी...तब मैं खयाल से बाहर आयी.🙍♀️
वो हल्का सा मुस्कुराया.😌और उन अंधेरी सड़क पर चला गया.🚶♂️🚶♂️🚶♂️
मैं उसे देखती रही.👀बस सिर्फ देखती रही💔
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here