ज़िन्दगी से जाते हो, मग़र यादों से जाते नहीं,
जुदा तो हो गए मग़र मेरी आदतों से जाते नहीं,
ख़बर हमको भी थी तुम्हारे इस मरासिम की,मग़र हम चुप रहे,
क्योंकि हसीं वो पल दोबारा कभी यूँ आते नहीं,
खुली किताब सी है मेरी ये ज़िंदगी सारी,
मग़र अब हम तुमको समझ यूँ आते नहीं,
हसीनाएं और भी हैं इस ज़मानें में लेकिन,
हमको कोई और बशर अब तुमसे भाते नहीं...!!
#pyari_soch
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