पता नहीं कहाँ चले जा रहे हैं ! पता नहि कहाँ चले जा रहे है,
चेहारे पे हसी ,दिल मे दर्द सेहान किये
जा रहे है।
जिन्दा हो कर भी,अंदर से मरे जा राहे हे,
पता नहि कहा चले जा राहे है
खुश हूँ क्यूंकि, खुश हूँ।क्यूंकि,
जो करना चाहता था वहि कर रहा हु।क्यूंकि
किसीसे गीला नाहि अोर शिकावा नही।क्यूंकि
रात को निंद पलक झपाकते अाजाति हे।क्यूंकि
जिसाके सात जिन्दगी जिनी थी उसीके साथ जी रहा हु।
उम्मीद है कि उम्मीद है की ,
वो लोट के आयेगी,
रुकी हुई जिन्दगी ,
फिर रे शुरु हो जायेंगी,
चोटी सी दुनिया हे मेरी,
उसाके सहारे कट जायेंगी,
उम्मीद हे की वो लोट के आयेगी
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