रकीब अपने काम से काम रख
मुझसे ज्यादा मेरे खिलाफ कोई नही है
8 Love
कहीं डरकर किनारे पर ठहर जाने से क्या होगा
जब मझधार से ही कस्ती,पार जानी है
पार करना है हर दरिया के,हर एक तूफ़ान को
बदलते वक्त में मिसाल,अगर बनानी है
अर्पित अज्ञात
" आओ उस पार चलें
जंहा दो पल का सुकून मिले
न सही दो वक्त की रोटी
बस इंसानियत का जुनून मिले
राही का क्या,
चलते-चलते मंज़िल तक
पहुंच ही जायेगा ।
तो आओ चुन लें उन रास्ते की यादों को,
जिन्हें सुनने पर दिल को सुकून मिले ।"
इश्क में तेरी तड़पते हैं पल पल इश्क का तूफान उठा है भूलेंगे नहीं वादा बदलेंगे नहीं इरादा।
तुम दिल को हो प्यारे तुमसा कोई नहीं सब तुमसे कमतर तुम सबसे बेहतर तुम सबसे ज्यादा।
शायरः-शैलेन्द्र सिंह यादव
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