#"दुनिया" में "जाने क्यूँ" इतना "ग़म" है,
"हर "आँख" "जाने क्यूँ" इस क़दर "नम" है...
"हर "दिल" "ख़ुशियों" से जाने क्यूँ "बेदम" है,
"इसी" को "शायद" कहते ज़िन्दगी "हम" हैं...
*राशिद मुरादाबादी*
"क़ुर्बानियों" की ज़िन्दा "मिसाल" है ये "ईद",
"मोमिनों" का "सब्र-ए-कमाल" है ये "ईद"...
"हुक़्म-ए-इलाही" का "सवाल" है ये "ईद",
"ख़ुदा" की "रज़ा" से "विसाल" है ये "ईद"...
"क़ुर्बानियों" की ज़िन्दा "मिसाल" है ये "ईद",
"मोमिनों" का "सब्र-ए-कमाल" है ये "ईद"...
"हुक़्म-ए-इलाही" का "सवाल" है ये "ईद",
"ख़ुदा" की "रज़ा" से "विसाल" है ये "ईद"...
*राशिद मुरादाबादी*
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