virutha sahaj

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इस विरुथा का मतलब "वीरता" है कलम की वीरता और सहज का मतलब सरल ,इसका अर्थ ये है कि आपकी वीरता जब सरल तरीके से ,सधे हुए शब्दों में कलम की नोक से किसी के सामने आये उसी को हम "रचना " या "कविता" कहतें हैं ।

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इंतज़ार करो पापियों, आएगा ऐसा भी इक दिन  जयघोष करेगी बेटी, होगा सर्वनाश तुम्हारा जिस दिन......... कब समझेगा वो नारी के महत्व को यारो....                           समाज की कल्पना भी न, हो सके तेरे बिन नारी तुझे प्रणाम गिन-गिन 👏          नारी तुझे प्रणाम गिन-गिन।।।।।।       👏 ©virutha sahaj

#Naari  इंतज़ार करो पापियों, आएगा ऐसा भी इक दिन 

जयघोष करेगी बेटी, होगा सर्वनाश तुम्हारा जिस दिन.........                                                          कब समझेगा वो नारी के महत्व को यारो....                                                                                   समाज की कल्पना भी न, हो सके तेरे बिन  

 नारी तुझे प्रणाम गिन-गिन      👏   

         नारी तुझे प्रणाम गिन-गिन।।।।।।       👏

©virutha sahaj

#Naari

14 Love

कुदरत बनाता है माँ बेटी का रिश्ता ही कुछ ऐसा ना इसे खरीदा जा सके,तोल पाये ना इसे पैसा जोड़कर हाथ, कहती है ये बेटी आप सबसे न करो बेटी को अपमानित, ना करो पाप तुम ऐसा...............। ©virutha sahaj

#नारी  कुदरत बनाता है माँ बेटी का रिश्ता ही कुछ ऐसा                                                          ना इसे खरीदा जा सके,तोल पाये ना इसे पैसा
जोड़कर हाथ, कहती है ये बेटी                 आप सबसे
न करो बेटी को अपमानित, ना करो पाप तुम ऐसा...............।

©virutha sahaj

#SaferMotherHoodDay भूल जाती है माँ दुःख दर्द, सारे अपने जब कहती है ये बेटी, मैं हूँ यहाँ सुख में आँख मे होते हैं आंसू ,फिर भी कहती है  माँ हँस के....... ज़िन्दगी मेरी जितनी है वो भी बस जाये तुम मे। ©virutha sahaj

#SaferMotherHoodDay #नारी  #SaferMotherHoodDay भूल जाती है माँ दुःख दर्द, सारे अपने

जब कहती है ये बेटी, मैं हूँ यहाँ सुख में

आँख मे होते हैं आंसू ,फिर भी कहती है 

माँ हँस के.......

ज़िन्दगी मेरी जितनी है वो भी बस जाये तुम मे।

©virutha sahaj

#नारी

16 Love

     माँ,बेटी और नारी  (रूप एक, नाम अनेक) मां की कोख से जन्मी, एक बेटी तो हंगामा उंगली उठाने वाला कोई और नहीं,ये ज़माना अपने हौसलों से जब दिखाया, उसने कारनामा आज दांतों तले उंगली दबाए बैठा,वही ज़माना। ©virutha sahaj

#नारी    
  माँ,बेटी और नारी                               (रूप एक, नाम अनेक)


मां की कोख से जन्मी, एक बेटी तो हंगामा

उंगली उठाने वाला कोई और नहीं,ये ज़माना

अपने हौसलों से जब दिखाया, उसने कारनामा

आज दांतों तले उंगली दबाए बैठा,वही ज़माना।

©virutha sahaj

#नारी

10 Love

Jai shree ram हैं कितने भाग्यशाली हम जो प्राण -प्रतिष्ठा के साक्षी बन पाएं हैं प्रभु की मोहिनी मूरत का, दीदार जो कर पाए हैं इतने तुच्छ चक्षु,मुख व कर से कैसे तेरा गुड़गान करूं मैं भगवन तेरी सुंदरता का तो कामदेव भी कभी पार ना पाएं हैं। (२२/०१/२०२४) ©virutha sahaj

#झलक  Jai shree ram हैं कितने भाग्यशाली हम
जो प्राण -प्रतिष्ठा के साक्षी बन पाएं हैं
प्रभु की मोहिनी मूरत का,                     दीदार जो कर पाए हैं
इतने तुच्छ चक्षु,मुख व कर से कैसे तेरा       गुड़गान करूं मैं भगवन
तेरी सुंदरता का तो कामदेव भी 
कभी पार ना पाएं हैं।
(२२/०१/२०२४)

©virutha sahaj

#झलक

13 Love

#झलक  ram lala ayodhya mandir कितने वर्षों की प्रतीक्षा,आज हम सब उपहार स्वरूप पाएं हैं
सजा दो सम्पूर्ण विश्व को, सभी के घर राम आएं हैं
छवि निहारत लला की, हटत न नैना एक पल को
नीर बन अश्रु, झर झर झर
लोचन में भर आएं हैं।

©virutha sahaj

#झलक

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