बहुत दिनों बाद मैंने अपनी डायरी और कलम उठायी लिखने को, लेकिन अचानक से कुछ पन्ने हवा के झोंकों से पलटे... और मुझे अतीत की यादों में ले गए... वो अतीत की यादें मेरे दिल को चुभहो रहे थे, तो कभी मेरे होठों पर एक छुपी सी मुस्कान ला रहे थे.. आंखें भी भर आई थी पर बहने की हिम्मत नहीं थी उनमें.. ऐसा लग रहा था मानो वो मुझे फिर से अतीत में समा लेने को बेताब थे .. मैं भी उनमें डूबता चला गया.. बस आज की तन्हाइयों से अच्छा लग रहा था उन अतीत की यादों में डूब जाना..
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here