शिक्षा,सेहत,बिजली,पानी,अस्पताल के काम,
इसके बदले कोन चुनेगा मजहब का गुणगान ,
हो सकता ना पूर्ण हुऐ पर कोशिश तो की करने की,
सालों से जो बंद पड़े असली मुद्दों पे लड़ने की,
थोड़ा सा कोई सबक ही लेले और बस ऐसे काम करे,
मंदिर - मस्जिद संप्रदाय ना बस शिक्षा की बात करे ,
मूलभूत चीजें पहुँचाये उसके हीत ही काम करे,
जनता उसको गले लगाये उसको फिर स्वीकार करे।।...!!!
चिंता ना कर भुखमरी की
चिंता ना कर रोजगार की
चिंता मत कर तु फसलों की
चिंता मत कर तु नस्लों की
मंहगाई है बढ जाने दे
है किसान ये मर जाने दे
धर्मों के हित बाँट दे इसको
जड़ ये वतन की काट दे इसको
सब जो मुद्दा भूल गये हैं
फिर से दे परवाज़ तु इसको
फिर से तु दहशत फैला दे
हिन्दु-मुस्लिम को भड़का दे
इतने दिन रोटी सेकी है
थोड़ा इसको और तपा दे
सबके मन का हाल तु ना सुन
अपने "मन की बात" बता दे
जाति धर्म और नाम पे सब को
असली मुद्दों से भटका दे
असली मुद्दों से भटका दे..!!
ग्रह नक्षत्र तिथि तारीखें सब तो यही बताते हैं,
कैसे मानें राम नहीं थे सदियों से तो गाते हैं ,
पारायण मंचन है करते चौपाइयाँ सुनाते हैं ,
राम यहीं थे राम यहीं है "जीवन" आते जाते हैं ।।
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