क्यों छूटता नही साथ
तुम्हारा
ये दुनिंया छूट जा रही
मेरा घर छूट जा रहा,
मुझे लगता है
मैं जल्दी मर भी जाऊंगी
क्योंकि सब मेरे खिलाफ है,
सब कह रहे हैं
मैं
कुल कलंकनी हूं ,अभागिन हूं
चटक चुनर भी पहनु
तो खटकती हूं,
हर शितम के बाद मरना
जैसे बाकी रह गया हो,
दबे आवाज में ही सही
लोग कह रहे हैं
तुम से तो अच्छी तवायफ है,
आप की अंजली सन्दीप
आज रात दुनियां से अलविदा
कह देगी,
हमारा प्यार अमर रहेगा
इस आकाश, सूरज ,चाँद, बादल
की तरह,,
प्यार का दुश्मन
तुम्हारा दुश्मन होगा
इसे मेरी लड़ाई समझकर लड़ना,
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प्रियंका महीपगुरु
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