कल्पना....
सुनो,
जब मेघ नही आयेंगे अपने गांव
तो हम ले चलेंगे अपनी बैलगाड़ी
किसी दूसरे गांव ,
लगा लेंगे वहां हम अपनी
कल्पनाओं की सीढ़ी
तुम थामे रखना उसे
और मैं गिराऊंगा छोटे छोटे मेघ
जिन्हे तुम संभाल लेना अपने आंचल में
और भरकर रखलेना अपनी गाड़ी में
(जैसे संभाल लेते है हम स्मृतियां जीवन रूपी गाड़ी में
और रख लेते है उन्हे संभाल कर जीवन पर्यन्त )
और हम चल देंगे अपनी खुशियों की बैलगाड़ी भर कर
अपने गांव की और !!
written by neetu sahu ✍️
©Neetu Sahu
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