Mahendra Shekhawat

Mahendra Shekhawat Lives in Jaipur, Rajasthan, India

मैंने कब चाहा कि मैं बादशाह हो जाऊं। मिल जाऊ वतन की मिट्टी में तो शहंशाह हो जाऊं।।

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#शायरी #kitaab  एक दिन हम सब कहानियां बन जायेगें।
चंद सालों बाद क़िस्सों में बदल जायेंगे।
कितना भी संजोकर रख जाना क़िताब को,
अगली पीढ़ी के दौर में रद्दी घोषित हो जायेगें

©Mahendra Shekhawat

#kitaab

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#ज़िन्दगी #story  किस जरूरत को दबाऊ, किसे पूरा कर लूं।
अपनी तनख्वाह कई बार गिनी है मैनें।।

©Mahendra Shekhawat

#story

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#शायरी  
सब मन के भीतर एक शमशान है,
यहाँ पर भस्म हुई स्मृतियां अनंत है,
जो पवित्र है; वह फिर से लौट आती है,
शेष राख में परिवर्तित कर दी जाती है।

©Mahendra Shekhawat

सब मन के भीतर एक शमशान है, यहाँ पर भस्म हुई स्मृतियां अनंत है, जो पवित्र है; वह फिर से लौट आती है, शेष राख में परिवर्तित कर दी जाती है। ©Mahendra Shekhawat

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#शायरी  मेरे जीवन में बहुत अधिक प्रेम भरा हुआ था,
इस कारण सभी प्रेमिकाएं कविताएं हो गई।।

©Mahendra Shekhawat

मेरे जीवन में बहुत अधिक प्रेम भरा हुआ था, इस कारण सभी प्रेमिकाएं कविताएं हो गई।। ©Mahendra Shekhawat

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इंतजार बहुत लंबा चुन लिया हमनें, मुसीबत तो ये हैं की एकतरफ़ा चुन लिया हमने। ©Mahendra Shekhawat

#शायरी #walkingalone  इंतजार बहुत लंबा चुन लिया हमनें,
मुसीबत तो ये हैं की एकतरफ़ा चुन लिया हमने।

©Mahendra Shekhawat
#शायरी  वो गाँव, मोहल्ला, गली, आँगन सब कट गया हमसें,
एक रेखा मेरे हाथों के दरमियान बनी हुई थी ऐसी।

©Mahendra Shekhawat

वो गाँव, मोहल्ला, गली, आँगन सब कट गया हमसें, एक रेखा मेरे हाथों के दरमियान बनी हुई थी ऐसी। ©Mahendra Shekhawat

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