White कुछ अनुत्तरित प्रश्न जिनके लिये उत्तर न मिले कभी,
कुछ भाव जिनके लिये शब्द न बने कभी,
वो सभी ईश्वर को समर्पित कर दिये गये।
वैसे ही जैसे हवनकुण्ड में सबकुछ स्वाहा हो जाता है,
वैसे ही जैसे देवताओं को समर्पित पुष्प मंदिर प्रांगण से बाहर कर दिये जाते हैं,
वैसे ही जैसे गंगा की धार में दीपक
प्रवाहित कर दिये जाते हैं,
वैसे ही जैसे पुष्पी पौधे पुष्पों को
झड़ जाने देते हैं,
वैसे ही जैसे अस्फुट शब्द वातावरण में कहीं खो जाते हैं,
वैसे ही जैसे......
©शिवानी त्रिपाठी
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