Adarsh k Tanmay

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तमन्नाओं के शहर में तलबगार मेरी वो कुछ यूँ हो गई, जो पूरी रौशनी थी अपनी घर की, वो मेरे आँगन की खुशियां बन गई ©Adarsh k Tanmay

#शायरी  तमन्नाओं के शहर  में तलबगार मेरी वो कुछ यूँ हो गई,
जो पूरी रौशनी थी अपनी घर की, वो मेरे आँगन की खुशियां बन गई

©Adarsh k Tanmay

#Love शालूआदर्श

8 Love

फलक के चाँद की अपनी अलग कहानी है दिल उसका भी वफादार ना रहा होगा शायद इसकी भी एक अलग कहानी है सूरत लाख सही पर शिरत पर दाग दिखते हैं खोट उसके भी दिल पर होंगे शायद तभी तो चाँद पर दाग दिखते हैं...!!!! ©Adarsh k Tanmay

#moonlight  फलक के चाँद की अपनी अलग कहानी है
दिल उसका भी वफादार ना रहा होगा
शायद इसकी भी एक अलग कहानी है

सूरत लाख सही पर शिरत पर दाग दिखते हैं
खोट उसके भी दिल पर होंगे शायद
तभी तो चाँद पर दाग दिखते हैं...!!!!

©Adarsh k Tanmay

#moonlight

7 Love

कितनी शीतल थी मन की ज्वाला कल जब खुद पर शोलह श्रृंगार दिखा था नयनन अब तो राह निहारे चाँद से प्यारे मुखड़े को थे बलखाते बालों के लट निखारे चित हिय में बसे कुछ बातें हैं कुछ बिखरी सिमटी से यादें हैं यादें आती उमस की भांति छलनी हृदय कर के जाती सिसक सिसक कर यादें बहती दृग को गीला कर के जाती काज़ल लगे अब कालिख सा छूट गया वो अपना सा अब मेहंदी और महावर क्या अब चूड़ी कंगन के हैं कर्कश वाणी कानों को ना सुहाते ये कर्कश वाणी टीश भरी कलेजे लेके किस ओर चलूँ किस ओर लगूँ आँशु भी अब तो सुख गये सिन्दूर भी मांग से रूठ गये छाया ना रही मेरी अपनी अब अपने पर किसका अधिकार समझूँ मैं मैं उन्मुक्त गगन में लहराती अपने मांझे के बल पर इतराती मेरा मांझा मुझसे टूट गया जीवन को नीरस छोड़ गया मैं सरस सलील की एक परी लहरों में खूब थी विचरण करती अब सौभाग्य मेरा अभाग्य हुआ तिमिर मेरा संसार हुआ अब हो मौसम चाहे सर्दी गर्मी या मेघों का मैं स्तब्ध हुई अब शांत हुई आँशु को पत्थर कर के अब मोह माया के रिश्तों से जग जीवन से विरक्त हुई अपने सांसो का बोझ लिये मैं अपने आप में अंतर्ध्यान हुई। ©Adarsh k Tanmay

 कितनी शीतल थी मन की ज्वाला कल
जब खुद पर शोलह श्रृंगार दिखा था
नयनन अब तो राह निहारे
चाँद से प्यारे मुखड़े को
थे बलखाते बालों के लट निखारे

चित हिय में बसे कुछ बातें हैं
कुछ बिखरी सिमटी से यादें हैं
यादें आती उमस की भांति
छलनी हृदय कर के जाती

सिसक सिसक कर यादें बहती
दृग को गीला कर के जाती
काज़ल लगे अब कालिख सा
छूट गया वो अपना सा
अब मेहंदी और महावर क्या
अब चूड़ी कंगन के हैं कर्कश वाणी
कानों को ना सुहाते ये कर्कश वाणी
टीश भरी कलेजे  लेके
किस ओर चलूँ किस ओर लगूँ
आँशु भी अब तो सुख गये
सिन्दूर भी मांग से रूठ गये
छाया ना रही मेरी अपनी अब
अपने पर किसका अधिकार समझूँ मैं

मैं उन्मुक्त गगन में लहराती
अपने मांझे के बल पर इतराती
मेरा मांझा मुझसे टूट गया
जीवन को नीरस छोड़ गया

मैं सरस सलील की एक परी
लहरों में खूब थी विचरण करती
अब सौभाग्य मेरा अभाग्य हुआ
तिमिर मेरा संसार हुआ

अब हो मौसम चाहे सर्दी गर्मी या मेघों का
मैं स्तब्ध हुई अब शांत हुई
आँशु को पत्थर कर के अब
मोह माया के रिश्तों से
जग जीवन से विरक्त हुई
अपने सांसो का बोझ लिये मैं
अपने आप में अंतर्ध्यान हुई।

©Adarsh k Tanmay

The sorrows of the wives of the brave martyrs Pulwama attack.

10 Love

चॉकलेट कड़वी लगने लगी है छल्ले सिगरेट की जिंदगी जीना सीखाने लगी है वो जेम्स वो सिल्क वो 5 स्टार वो किटकैट सब याद है मुझे पर खाता नहीं इन्हें क्योकि तेरी याद दिलाती है वो पानी पूरी वो दही बल्ले सब याद है मुझे पर इन्हें अब छूता तक नहीं क्योकि तेरी याद दिलाती है तेरी यादों से बचना चाहता हूँ ऐसा नहीं कि तुझे भूलना चाहता हूँ पलकें गीले करना अब कम कर दिया है उदास रहना भी अब कम कर दिया है रहा नहीं जाता तुझ बिन पर रह लेते हैं सहा नहीं जाता पर सह लेते हैं चूमने को तो लाखों चेहरे हैं दुनिया में मां बाप के चरणों के आगे अब कुछ नहीं दिखता समेटे है बाहों में कुछ जिम्मेदारियां हमने निभाने को है कुछ जिम्मेदारियां हमने माँ बाप बहनों के आगे अब कुछ नहीं दिखता हमने बहुतों को जज किये हैं फिर भी रिश्तों को tightly huge किये हैं तुम चाहो तो आजाद कर सकती हो मुझे चाहो तो स्वीकार कर सकती हो मुझे बंदिशे नहीं मेरी तुझपे कोई मेरी सब रजा जान कर अपना सकती हो मुझे। ©Adarsh k Tanmay

#VantinesDay  चॉकलेट कड़वी लगने लगी है
छल्ले सिगरेट की  जिंदगी जीना सीखाने लगी है
वो जेम्स वो सिल्क वो 5 स्टार  वो किटकैट
सब याद है मुझे
पर खाता नहीं इन्हें
क्योकि तेरी याद दिलाती है
वो पानी पूरी वो दही बल्ले सब याद है मुझे
पर इन्हें अब छूता तक नहीं
क्योकि तेरी याद दिलाती है
तेरी यादों से बचना चाहता हूँ
ऐसा नहीं कि तुझे भूलना चाहता हूँ
पलकें गीले करना अब कम कर दिया है
उदास रहना भी अब कम कर दिया है
रहा नहीं जाता तुझ बिन 
पर रह लेते हैं
सहा नहीं जाता पर 
सह लेते हैं
चूमने को तो लाखों चेहरे हैं दुनिया में
मां बाप के चरणों के आगे अब कुछ नहीं दिखता
समेटे है बाहों में कुछ जिम्मेदारियां हमने
निभाने को है कुछ जिम्मेदारियां हमने
माँ बाप बहनों के आगे अब कुछ नहीं दिखता
हमने बहुतों को जज किये हैं
फिर भी रिश्तों को tightly huge किये हैं
तुम  चाहो तो आजाद कर सकती हो मुझे
चाहो तो स्वीकार कर सकती हो मुझे
बंदिशे नहीं मेरी तुझपे कोई
मेरी सब रजा जान कर अपना सकती हो मुझे।

©Adarsh k Tanmay

प्यार में मिलना मिल कर खिलखिलाना कुछ यूं हीं छूट जाता है कॉलेज के वो आखिरी दिन पर इम्पोर्टेन्ट नोट्स और एक्स्ट्रा क्लास के बहाने बनाना भी छूट जाता है....!!!! मसरूफ होते हैं फिर ऑफिस के कामों में वहां भी हमारा हकदार मिल जाता है फिर एक दिन युहीं एक्सट्रा वर्क लोड का बहाने बनाना भी छूट जाता है..!!! बेकरार करते है युही सांसों को हम रिश्ता सब युहीं खत्म हो जाता है धड़कने बढ़ाते हैं आहिस्ता आहिस्ता हम फिर दिल को दिल का रोग लग जाता है....!!! ©Adarsh k Tanmay

 प्यार में मिलना मिल कर खिलखिलाना कुछ यूं हीं छूट जाता है
 कॉलेज के वो आखिरी दिन पर
इम्पोर्टेन्ट नोट्स और एक्स्ट्रा क्लास के बहाने बनाना भी छूट जाता है....!!!!

मसरूफ होते हैं फिर ऑफिस के कामों में
वहां भी हमारा हकदार मिल जाता है
फिर एक दिन युहीं 
एक्सट्रा वर्क लोड का बहाने बनाना भी छूट जाता है..!!!

बेकरार करते है युही सांसों को हम
रिश्ता सब युहीं खत्म हो जाता है
धड़कने बढ़ाते हैं आहिस्ता आहिस्ता हम
फिर दिल को दिल का रोग लग जाता है....!!!

©Adarsh k Tanmay

#Thoughts

9 Love

प्यार- अब शायद कुछ भी नहीं चाहत- ये भी शायद कुछ भी नहीं लगाव- ये पुरानी बात हुई अपनापन-किसी से कभी नहीं मिलता मोह-स्वार्थ के शायद दूसरा नाम है। बेइंतहा है ये इश्क ,सहेज सको तो चलो कोई पसंद हो तो आईना करो, ना मांगने की इल्तिजा करो नयन में उसे बसा कर , दूर से सला करो ना दिल को जख्म दिया करो, हर ज़ख्म खुदी से सिला करो ये शहर है मात्र रेह का, हर ज़ख्म को पर्दा करो मतलबों की दुनिया में, बेमतलबों सा मिला करो धड़कनों को सहेज कर, मुस्कुरा कर विदा करो ये जिंदगी तो जंग है, यहाँ पे सब बेरंग है सांस की है तय सीमा, ना सांसों को परेशां करो है पसंन्द तुमको यदि, पास पास रहा करो ना वादे कोई कसमें करो,पास तुम रहा करो दे सको न साथ अगर,मुस्कुरा कर विदा करो जिंदगी में हो अगर, जिंदगी बना करो वादे ना किया करो, साथ हो हमसफ़र तो सांसों को न परेशां करो मतलबी इस दुनिया में, मतलबी सा रहा करो साथ चलना हो अगर मुस्कुरा के मिला करो..... ©Adarsh k Tanmay

#humantouch  प्यार- अब शायद कुछ भी नहीं
 चाहत- ये भी शायद कुछ भी नहीं
लगाव- ये पुरानी बात हुई
अपनापन-किसी से कभी नहीं मिलता
मोह-स्वार्थ के शायद दूसरा नाम है।

बेइंतहा है ये इश्क ,सहेज सको तो चलो
कोई पसंद हो तो आईना करो, ना मांगने की इल्तिजा करो
नयन में उसे बसा कर , दूर से सला करो
ना दिल को जख्म दिया करो, हर ज़ख्म खुदी से सिला करो
ये शहर है मात्र रेह का, हर ज़ख्म को पर्दा करो
मतलबों की दुनिया में, बेमतलबों सा मिला करो
धड़कनों को सहेज कर, मुस्कुरा कर विदा करो
ये जिंदगी तो जंग है, यहाँ पे सब बेरंग है
सांस की है तय सीमा, ना सांसों को परेशां करो
है पसंन्द  तुमको यदि, पास पास रहा करो
ना वादे कोई कसमें करो,पास तुम रहा करो
दे सको न साथ अगर,मुस्कुरा कर विदा करो
जिंदगी में हो अगर, जिंदगी बना करो
वादे ना किया करो, 
साथ हो हमसफ़र तो
सांसों को न परेशां करो
मतलबी इस दुनिया में, मतलबी सा रहा करो
साथ चलना हो अगर
मुस्कुरा के मिला करो.....

©Adarsh k Tanmay
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