Abhijeet Dey

Abhijeet Dey Lives in Kishanganj, Bihar, India

मेरे शब्द ही मेरा परिचय है ।

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चंद्रमा जिनका मुकुट है।  गंगा को धारण किये मेघ जिनकी जटा है। नील आकाश जिनका कण्ठ है। शीतल वायू ही जिनके गले को आभूषित करते सर्प है। ऊँचे पर्वत जिनके कंधे है। वन वृक्ष जिनके वस्त्र है। पृथ्वी जिनकी जाँघे है। पद्मासन पर बैठे प्रकृति को सवेंग में धारण किये हुए, जगत रूप में सहज ही हमें दर्शन देने वाले, उस परमेश्वर शिव को मेरा प्रणाम।  ॐ नमः शिवाय ! ©Abhijeet Dey

#mahashivratri  चंद्रमा जिनका मुकुट है। 

गंगा को धारण किये मेघ जिनकी जटा है।

नील आकाश जिनका कण्ठ है।

शीतल वायू ही जिनके गले को आभूषित करते सर्प है।

ऊँचे पर्वत जिनके कंधे है।

वन वृक्ष जिनके वस्त्र है।

पृथ्वी जिनकी जाँघे है।

पद्मासन पर बैठे प्रकृति को सवेंग में धारण किये हुए, 

जगत रूप में सहज ही हमें दर्शन देने वाले,

उस परमेश्वर शिव को मेरा प्रणाम। 


ॐ नमः शिवाय !

©Abhijeet Dey

ॐ नमः शिवाय । #mahashivratri

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झुका हूँ, मिटा नहीं हूँ, रुका हूँ, थमा नहीं हूँ।। वक़्त की सीढ़ियों पर रेंगता ही सही, मैं चढ़ा हूँ, मगर गिड़ा नहीं हूँ।। मुझे उंगलियों से नाप लो, आज तारीख देख कर, फिर नापने का हौसला ना ला पाओगे।। कद मेरा भी तुमसे कुछ कम न होगा, वो वक़्त भी जल्द ही देख पाओगे।। मेरे बारे में बातें तुम करते ही हो, मुझे सुर्खियों में भी कल देखोगे तुम।। मेरी हस्ती के चर्चे भी होंगे मगर, फिर अपने ही कानों को सेंकोगे तुम।। बटा हूँ, घटा नहीं हूँ, हटा हूँ, कटा नहीं हूँ।। फ़र्ज़ के रास्तों पर रेंगता ही सही, मैं बढ़ा हूँ, मगर मरा नहीं हूँ।। ©Abhijeet Dey

#कविता #MereKhayaal  झुका हूँ, मिटा नहीं हूँ,

रुका हूँ, थमा नहीं हूँ।।

वक़्त की सीढ़ियों पर रेंगता ही सही,

मैं चढ़ा हूँ, मगर गिड़ा नहीं हूँ।।


मुझे उंगलियों से नाप लो, आज तारीख देख कर,

फिर नापने का हौसला ना ला पाओगे।।

कद मेरा भी तुमसे कुछ कम न होगा,

वो वक़्त भी जल्द ही देख पाओगे।।


मेरे बारे में बातें तुम करते ही हो,

मुझे सुर्खियों में भी कल देखोगे तुम।।

मेरी हस्ती के चर्चे भी होंगे मगर,

फिर अपने ही कानों को सेंकोगे तुम।।


बटा हूँ, घटा नहीं हूँ,

हटा हूँ, कटा नहीं हूँ।।

फ़र्ज़ के रास्तों पर रेंगता ही सही,

मैं बढ़ा हूँ, मगर मरा नहीं हूँ।।

©Abhijeet Dey

मिटा नहीं हूँ #MereKhayaal Shristi Yadav Zakir Ul Hussain Raman Yadav Nehal khan fromGhazipure Nipendar dhiman

5 Love

Happy Rath Yatra https://www.amazon.in/dp/163957834X/ref=cm_sw_r_cp_apa_glt_fabc_0X5WBA1FBDX2NKBZBPNF ©Abhijeet Dey

#कविता  Happy Rath Yatra  https://www.amazon.in/dp/163957834X/ref=cm_sw_r_cp_apa_glt_fabc_0X5WBA1FBDX2NKBZBPNF

©Abhijeet Dey

Mere likhey kavitao ka sangrah. Ab Amazon par uplabdha hai. https://www.amazon.in/dp/163957834X/ref=cm_sw_r_cp_apa_glt_fabc_0X5WBA1FBDX2NKBZBPNF

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कविता: सुदामा देख सुदामा तड़प रहा है, मीत मिलान को हाय। कब पहुँचूँ मैं यदुनंदन तक, पग पूछे मुस्काये।। राह घटे ना एक डगन भी, कोशों चलता जाय। देख सुदामा तड़प रहा है, मीत मिलान को हाय।। वृंदावन के रास रचैया, क्यों मोहे नाच नचाये। पल पल भटकूँ पथ-वन-पनघट; राह समझ ना आये।। तू चाहें तो तुझसे नाता, मुख तू मोड़े हे काहे। देख सुदामा तड़प रहा है, मीत मिलान को हाय।। चौउर भूज कर लाया हूँ मैं, देख जयो पगलाए। जान रहा हूँ, झूठ बोल ना; तुम कब से नहीं खाये।। मैं दानी सा दान करूँगा, तुम झोली फैलाये। देख सुदामा तड़प रहा है, मीत मिलान को हाय।। का जाने वो कौन किसन है, कौन उसे समझाये। बाल सखा वो अवतारी का, जिनकी माया छाये।। कान मोड़ कर धर ले जाये, जगत पिता को धाये। देख सुदामा तड़प रहा है, मीत मिलान को हाय।। ~अभिजीत दे। ©Abhijeet Dey

#कविता #Krishna #sudama  कविता: सुदामा

देख सुदामा तड़प रहा है, मीत मिलान को हाय।
कब पहुँचूँ मैं यदुनंदन तक, पग पूछे मुस्काये।।
राह घटे ना एक डगन भी, कोशों चलता जाय।
देख सुदामा तड़प रहा है, मीत मिलान को हाय।।

वृंदावन के रास रचैया, क्यों मोहे नाच नचाये।
पल पल भटकूँ पथ-वन-पनघट; राह समझ ना आये।।
तू चाहें तो तुझसे नाता, मुख तू मोड़े हे काहे।
देख सुदामा तड़प रहा है, मीत मिलान को हाय।।

चौउर भूज कर लाया हूँ मैं, देख जयो पगलाए।
जान रहा हूँ, झूठ बोल ना; तुम कब से नहीं खाये।।
मैं दानी सा दान करूँगा, तुम झोली फैलाये।
देख सुदामा तड़प रहा है, मीत मिलान को हाय।।

का जाने वो कौन किसन है, कौन उसे समझाये।
बाल सखा वो अवतारी का, जिनकी माया छाये।।
कान मोड़ कर धर ले जाये, जगत पिता को धाये।
देख सुदामा तड़प रहा है, मीत मिलान को हाय।।

~अभिजीत दे।

©Abhijeet Dey

पंछी अगर ये घर नही तेरा, पता कर कहाँ ठिकाना है। तू फिर से उड़ पंक्षी, तुझे पैसा कमाना है।। फसेंगे पाँव जालो में, धूप पंखों को जालेंगे। तेरे हुनर के सौदागर, बार बा दाने डालेंगे।। फ़िकर मत कर की क्या होगा, वही होगा जो होना है। तुझे लड़ना है क़िस्मत से, न कि किस्मत पे रोना है।। तेरे घर पे है तेरी माँ, तेरे आँगन में बच्चें है। तेरे आँखों के सपनो पर, यकीन उनके भी सच्चे है।। तेरी मंज़िल वहीं होगी, जहाँ तेरा ठिकाना है। तू फिर से उड़ पंक्षी, तुझे पैसा कमाना है।। ~अभिजीत दे। ©Abhijeet Dey

#कविता #पंछी  पंछी अगर ये घर नही तेरा, पता कर कहाँ ठिकाना है।
तू फिर से उड़ पंक्षी, तुझे पैसा कमाना है।।

फसेंगे पाँव जालो में, धूप पंखों को जालेंगे।
तेरे हुनर के सौदागर, बार बा दाने डालेंगे।।

फ़िकर मत कर की क्या होगा, वही होगा जो होना है।
तुझे लड़ना है क़िस्मत से, न कि किस्मत पे रोना है।।

तेरे घर पे है तेरी माँ, तेरे आँगन में बच्चें है।
तेरे आँखों के सपनो पर, यकीन उनके भी सच्चे है।।

तेरी मंज़िल वहीं होगी, जहाँ तेरा ठिकाना है।
तू फिर से उड़ पंक्षी, तुझे पैसा कमाना है।।

~अभिजीत दे।

©Abhijeet Dey

#5LinePoetry शिवलिंग क्या है? ©Abhijeet Dey

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©Abhijeet Dey
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