तुझे देख कर ही तो,
इस पागल का चेहरा निखरता है।
अब तो राह पर परे पत्थरों में भी;
दिल धड़कता दिखता है।।
अब कहा मेरा मन,
ओरो की बातों में उलझता है।
अब तो इन बेगाने अवारे बादलों में भी;
तेरा सिर्फ़ तेरा मुखड़ा दिखता है।।
अब कहां किसी ओर पर,
यह कमब्खत ये दिल फिसलता है।
मेरी ज़ुबान से तो ख़ुदा से पहले,
हर दफा तेरा ही नाम निकलता हैं।
हाल ऐसा हैं की!
हाल ऐसा हैं की!
अकेले में भी यह गंभीर रहने वाला इंसान;
मुस्कुराता है!!!
अब तो इन हवाओं में भी,
तेरे इत्र का एहसास होता है।
तुझे देख कर ही तो,
इस पागल का चेहरा निखरता हैं।।
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