नहीं हूँ मैं अबला, नहीं हूँ मैं लाचार,
यूँ दीनहीन मत समझो कोई मुझे यार।
नहीं सहूँगी बंदिशें, नहीं चाहिए कोई सहानुभूति,
अपना हक छिन कर ले लूँगी, रखना ये याद।
जीत कर दिखाएंगे हर बाजी,
बस, आप मत करना कोई चालबाज़ी।
जितना तोड़ना चाहेंगे मुझे,
उतना ही अधिक बनकर दिखाएंगे मज़बूत।
नारी हूँ मैं, हाँ नारी हूँ मैं।
कभी काली तो कभी चण्डी हूँ मैं।
कोमल हूँ मैं, कठोर भी हूँ मैं,
आप मसल सको, वो ना फ़ूल हूँ मैं।
कर सकती हूँ जब मैं सृष्टि का सृजन ,
फ़िर भला आपके आगे क्यों होना नतमस्तक?
©नेहा ईश्वर
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