पढ़ी हुई किताब को फिर से पलटने को कहा गया है
मुझे जीने का सलीका बदलने को कहा गया है
क्या सितम है मौला क्या करूँ मैं अब
जज़्बातों को पढ़ने वाले को झूठ पढ़ने को कहा गया है
सुना है तुम ले लेते हो हर बात का बदला
कभी आजमाएंगे तुम्हारे लबो को चूमकर(कॉपी)
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नये साल, बसंत ऋतु के बाद ये नया त्योहार आया है
होलिका के दहन की परीक्षा का परिणाम लाया है
घर से निकल कर गुलाल के रंगो की बरसात होगी
इसी डर से वो पुराने कपड़े अलमारियों से निकाल लाया है
मैंने भी लगाया था पिछले साल उसको थोड़ा सा गुलाल
इसीलिए अबकी बार वो सीधे मेरे घर पर आया है
उसे पता था मैं उसे छूने में वख्त लेता हूँ
तभी तो उसने भाभी से सिफ़ारिश करके मुझे बुलवाया
है
उसकी खुशबू मेरे बदन पर देर तक टिके
इस वजह से उसने मुझ पर ज़्यादा रंग गिराया है
वो होली ना भूलूँ मैं कभी
सो मुझे ये सपना खुदबा खुद आया है
ZIndagi quotes इन मौसमों से क्या गिला है जब बिन बारिश के आँखें बरसती हैं
चरागों के जलने जैसी आग मेरे दिल में जब जला करती है
अब तो बर्फ के मौसम में भी मुझे वसंत पंचमी लगती है
जब तुम्हें बुखार होता है तब हमें भी हराहरत और सर्दी सी लगती है
ZIndagi quotes इन मौसमों से क्या गिला है जब बिन बारिश के आँखें बरसती हैं
चरागों के जलने जैसी आग मेरे दिल में जब जला करती है
अब तो बर्फ के मौसम में भी मुझे वसंत पंचमी लगती है
जब तुम्हें बुखार होता है तब हमें भी हराहरत और सर्दी सी लगती है
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कुछ लोग पूछ रहे हैं लिखना क्यूँ बंद किया है साहब
मैंने कहा 46 मौतों के खूं से ये दिल अभी भी दहशत में है
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