अंबिका अनंत अंबुज

अंबिका अनंत अंबुज

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#कविता #meditation

#meditation

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मेरी ख्वाहिशें मेरे दिल में दबी ही रहीं तवज्जों पर मैने बस तेरी खुशी रक्खी तुम्हारी जिंदगी उजाला बा काफी रहे लहू जला कर ईमान से दोस्ती रक्खी परवरिश तुम्हारी जिंदगी सलामत रहे बेपरवाह  बा खुद से  बे खुदी  रक्खी बाजिंदगी मुकम्मल मंजिल तुझे मिले सर झुका के दुश्मनों से दोस्ती रक्खी बड़े सवाल थे हालात भी अच्छे नहीं तेरी किताबत कोई कमी नहीं रक्खी तेरा स्वाभिमान मान सम्मान भी रहे जुड़े हाथों से  लोगों से दोस्ती रक्खी खुद की जिंदगी भले ही फांके काटी तेरी टिफिन पुष्ट नाश्ते से भरी रक्खी तेरे  हर शौक  बड़े शौक से  पूरे किए टूटे जूते बनियान अपनी फटी रक्खी ख़्वाब अरमान  अंबुज अधूरे ही रहे चिंता तुम्हारी  पर  झुठी हँसी रक्खी मुझे कभी भी एतराज ना रहा तुझसे तेरी खुशी में ही  अपनी खुशी रक्खी अंबिका अनंत अंबुज AAA (पिता का पुत्र से संवाद) ©अंबिका अनंत अंबुज

#कविता  मेरी ख्वाहिशें मेरे दिल में दबी ही रहीं 
तवज्जों पर मैने बस तेरी खुशी रक्खी

तुम्हारी जिंदगी उजाला बा काफी रहे 
लहू जला कर ईमान से दोस्ती रक्खी

परवरिश तुम्हारी जिंदगी सलामत रहे 
बेपरवाह  बा खुद से  बे खुदी  रक्खी

बाजिंदगी मुकम्मल मंजिल तुझे मिले 
सर झुका के दुश्मनों से दोस्ती रक्खी

बड़े सवाल थे हालात भी अच्छे नहीं 
तेरी किताबत कोई कमी नहीं रक्खी

तेरा स्वाभिमान मान सम्मान भी रहे 
जुड़े हाथों से  लोगों से दोस्ती रक्खी

खुद की जिंदगी भले ही फांके काटी 
तेरी टिफिन पुष्ट नाश्ते से भरी रक्खी 

तेरे  हर शौक  बड़े शौक से  पूरे किए 
टूटे जूते बनियान अपनी फटी रक्खी 

ख़्वाब अरमान  अंबुज अधूरे ही रहे 
चिंता तुम्हारी  पर  झुठी हँसी रक्खी

मुझे कभी भी एतराज ना रहा तुझसे 
तेरी खुशी में ही  अपनी खुशी रक्खी 
अंबिका अनंत अंबुज AAA 
(पिता का पुत्र से संवाद)

©अंबिका अनंत अंबुज

मेरी ख्वाहिशें मेरे दिल में दबी ही रहीं तवज्जों पर मैने बस तेरी खुशी रक्खी तुम्हारी जिंदगी उजाला बा काफी रहे लहू जला कर ईमान से दोस्ती रक्खी परवरिश तुम्हारी जिंदगी सलामत रहे बेपरवाह  बा खुद से  बे खुदी  रक्खी बाजिंदगी मुकम्मल मंजिल तुझे मिले सर झुका के दुश्मनों से दोस्ती रक्खी बड़े सवाल थे हालात भी अच्छे नहीं तेरी किताबत कोई कमी नहीं रक्खी तेरा स्वाभिमान मान सम्मान भी रहे जुड़े हाथों से  लोगों से दोस्ती रक्खी खुद की जिंदगी भले ही फांके काटी तेरी टिफिन पुष्ट नाश्ते से भरी रक्खी तेरे  हर शौक  बड़े शौक से  पूरे किए टूटे जूते बनियान अपनी फटी रक्खी ख़्वाब अरमान  अंबुज अधूरे ही रहे चिंता तुम्हारी  पर  झुठी हँसी रक्खी मुझे कभी भी एतराज ना रहा तुझसे तेरी खुशी में ही  अपनी खुशी रक्खी अंबिका अनंत अंबुज AAA (पिता का पुत्र से संवाद) ©अंबिका अनंत अंबुज

10 Love

#शायरी #love_shayari

#love_shayari

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दिमाग ए इश्क बढ़ेगा नहीं ©अंबिका अनंत अंबुज

#शायरी  दिमाग ए इश्क बढ़ेगा नहीं

©अंबिका अनंत अंबुज

शेरो शायरी

12 Love

आकाश  के  मांद  से  निकला हुआ धरती   को   पहनाता   चांदनी चद्दर बिखेरता   हुआ   रोशनी   का  साँद सलोना   कार्तिक   का   पूरण चांद तुम  सदा  यूं   ही   चमकते  रहना रोशनी   शान   मुस्कान   के  साथ सुकूनत   यूं   हीं   बिखेरते   रहना वाह  वाहे गुरु नानक देव का चांद अपने  मूक गीत से  रीत से  ओत रौशन  जीवन की   प्रीत  से  प्रोत कदम खामोश  बढ़ाते  हुए  वो यूं शीतल  वो नयनाभिराम का चांद नयनों   को   देता   तृप्त  मिठास जिसमें पलता चांदनी का विश्वाश सब को शबनमी  रोशनी परोसता शबनमी  सब   कार्तिक  का चांद मीठी  मीठी   सर्द  फर्द   की रात चांदनी  सुहागिनी की  मधुर बात इक रागनी का राग चांद का साथ अद्भुत छंटा संग कार्तिक का चांद मन की थकान को करता तार तार नयन चांदनी फलक से करता वार अंबुज पुंकेसर में भरता पराग पाग खिली पंखुड़ियों पर  दमकता चांद अंबिका अनंत अंबुज AAA ©अंबिका अनंत अंबुज

#कविता  आकाश  के  मांद  से  निकला हुआ 
धरती   को   पहनाता   चांदनी चद्दर 
बिखेरता   हुआ   रोशनी   का  साँद 
सलोना   कार्तिक   का   पूरण चांद 

तुम  सदा  यूं   ही   चमकते  रहना 
रोशनी   शान   मुस्कान   के  साथ 
सुकूनत   यूं   हीं   बिखेरते   रहना 
वाह  वाहे गुरु नानक देव का चांद 

अपने  मूक गीत से  रीत से  ओत 
रौशन  जीवन की   प्रीत  से  प्रोत 
कदम खामोश  बढ़ाते  हुए  वो यूं 
शीतल  वो नयनाभिराम का चांद 

नयनों   को   देता   तृप्त  मिठास 
जिसमें पलता चांदनी का विश्वाश 
सब को शबनमी  रोशनी परोसता 
शबनमी  सब   कार्तिक  का चांद 

मीठी  मीठी   सर्द  फर्द   की रात 
चांदनी  सुहागिनी की  मधुर बात 
इक रागनी का राग चांद का साथ 
अद्भुत छंटा संग कार्तिक का चांद 

मन की थकान को करता तार तार 
नयन चांदनी फलक से करता वार 
अंबुज पुंकेसर में भरता पराग पाग 
खिली पंखुड़ियों पर  दमकता चांद 
अंबिका अनंत अंबुज AAA

©अंबिका अनंत अंबुज

आकाश  के  मांद  से  निकला हुआ धरती   को   पहनाता   चांदनी चद्दर बिखेरता   हुआ   रोशनी   का  साँद सलोना   कार्तिक   का   पूरण चांद तुम  सदा  यूं   ही   चमकते  रहना रोशनी   शान   मुस्कान   के  साथ सुकूनत   यूं   हीं   बिखेरते   रहना वाह  वाहे गुरु नानक देव का चांद अपने  मूक गीत से  रीत से  ओत रौशन  जीवन की   प्रीत  से  प्रोत कदम खामोश  बढ़ाते  हुए  वो यूं शीतल  वो नयनाभिराम का चांद नयनों   को   देता   तृप्त  मिठास जिसमें पलता चांदनी का विश्वाश सब को शबनमी  रोशनी परोसता शबनमी  सब   कार्तिक  का चांद मीठी  मीठी   सर्द  फर्द   की रात चांदनी  सुहागिनी की  मधुर बात इक रागनी का राग चांद का साथ अद्भुत छंटा संग कार्तिक का चांद मन की थकान को करता तार तार नयन चांदनी फलक से करता वार अंबुज पुंकेसर में भरता पराग पाग खिली पंखुड़ियों पर  दमकता चांद अंबिका अनंत अंबुज AAA ©अंबिका अनंत अंबुज

13 Love

आकाश  के  मांद  से  निकला हुआ धरती   को   पहनाता   चांदनी चद्दर बिखेरता   हुआ   रोशनी   का  साँद सलोना   कार्तिक   का   पूरण चांद तुम  सदा  यूं   ही   चमकते  रहना रोशनी   शान   मुस्कान   के  साथ सुकूनत   यूं   हीं   बिखेरते   रहना वाह  वाहे गुरु नानक देव का चांद अपने  मूक गीत से  रीत से  ओत रौशन  जीवन की   प्रीत  से  प्रोत कदम खामोश  बढ़ाते  हुए  वो यूं शीतल  वो नयनाभिराम का चांद नयनों   को   देता   तृप्त  मिठास जिसमें पलता चांदनी का विश्वाश सब को शबनमी  रोशनी परोसता शबनमी  सब   कार्तिक  का चांद मीठी  मीठी   सर्द  फर्द   की रात चांदनी  सुहागिनी की  मधुर बात इक रागनी का राग चांद का साथ अद्भुत छंटा संग कार्तिक का चांद मन की थकान को करता तार तार नयन चांदनी फलक से करता वार अंबुज पुंकेसर में भरता पराग पाग खिली पंखुड़ियों पर  दमकता चांद अंबिका अनंत अंबुज AAA ©अंबिका अनंत अंबुज

#कविता  आकाश  के  मांद  से  निकला हुआ 
धरती   को   पहनाता   चांदनी चद्दर 
बिखेरता   हुआ   रोशनी   का  साँद 
सलोना   कार्तिक   का   पूरण चांद 

तुम  सदा  यूं   ही   चमकते  रहना 
रोशनी   शान   मुस्कान   के  साथ 
सुकूनत   यूं   हीं   बिखेरते   रहना 
वाह  वाहे गुरु नानक देव का चांद 

अपने  मूक गीत से  रीत से  ओत 
रौशन  जीवन की   प्रीत  से  प्रोत 
कदम खामोश  बढ़ाते  हुए  वो यूं 
शीतल  वो नयनाभिराम का चांद 

नयनों   को   देता   तृप्त  मिठास 
जिसमें पलता चांदनी का विश्वाश 
सब को शबनमी  रोशनी परोसता 
शबनमी  सब   कार्तिक  का चांद 

मीठी  मीठी   सर्द  फर्द   की रात 
चांदनी  सुहागिनी की  मधुर बात 
इक रागनी का राग चांद का साथ 
अद्भुत छंटा संग कार्तिक का चांद 

मन की थकान को करता तार तार 
नयन चांदनी फलक से करता वार 
अंबुज पुंकेसर में भरता पराग पाग 
खिली पंखुड़ियों पर  दमकता चांद 
अंबिका अनंत अंबुज AAA

©अंबिका अनंत अंबुज

आकाश  के  मांद  से  निकला हुआ धरती   को   पहनाता   चांदनी चद्दर बिखेरता   हुआ   रोशनी   का  साँद सलोना   कार्तिक   का   पूरण चांद तुम  सदा  यूं   ही   चमकते  रहना रोशनी   शान   मुस्कान   के  साथ सुकूनत   यूं   हीं   बिखेरते   रहना वाह  वाहे गुरु नानक देव का चांद अपने  मूक गीत से  रीत से  ओत रौशन  जीवन की   प्रीत  से  प्रोत कदम खामोश  बढ़ाते  हुए  वो यूं शीतल  वो नयनाभिराम का चांद नयनों   को   देता   तृप्त  मिठास जिसमें पलता चांदनी का विश्वाश सब को शबनमी  रोशनी परोसता शबनमी  सब   कार्तिक  का चांद मीठी  मीठी   सर्द  फर्द   की रात चांदनी  सुहागिनी की  मधुर बात इक रागनी का राग चांद का साथ अद्भुत छंटा संग कार्तिक का चांद मन की थकान को करता तार तार नयन चांदनी फलक से करता वार अंबुज पुंकेसर में भरता पराग पाग खिली पंखुड़ियों पर  दमकता चांद अंबिका अनंत अंबुज AAA ©अंबिका अनंत अंबुज

14 Love

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