बच्चों कि खुशी के लिये, वो सब सहन कर जाती है
आंच जो आये घर पर, वो दुर्गा बन जाती है
और अपने गम सभी से छिपा बंद कमरे मे रोती है
मां, मां होती है, मां , मां होती है।
अंकित गुप्ता "नादान"
बेवजह तेरा यूं दिल मे आना
बेवजह तेरा यूं दिल से जाना
बेवजह तेरा यूं मुस्कराना
बेवजह तेरा यूं रूठ जाना
वजह से होता तो अच्छा होता
बेवजह तेरा यूं अपना बनाना
बेवजह तेरा यूं मुझको मनाना
बेवजह तेरा यूं हमदर्दी दिखाना
बेवजह तेरा यूं प्यार जताना
वजह से होता तो अच्छा होता
नादान
बेवजह तेरा यूं दिल मे आना
बेवजह तेरा यूं दिल से जाना
बेवजह तेरा यूं मुस्कराना
बेवजह तेरा यूं रूठ जाना
वजह से होता तो अच्छा होता
बेवजह तेरा यूं अपना बनाना
बेवजह तेरा यूं मुझको मनाना
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