सालों पहले की बात है
बात मगर कुछ खास है
ज्योतिषी ने पढ़ी मेरी हाथ है
जो अब भी मुझे याद है
सालों पहले की बात है
बात मगर कुछ खास है
ज्योतिषी ने बाँची मेरी तकदीर है
जो करती मुझे अधीर है
सालों पहले की बात है
बात मगर कुछ खास है
हाँ , ज्योतिषी ने पढ़ी मेरे हाथों की लकीर है
जो हो रही सचक्र है
सालों पहले की बात है
बात मगर कुछ खास है
जबान होगी कड़वी तेरी
कही ज्योतिषी ने यह बात है
भगवान का लिखा जो काट
इतनी किसकी औकात है
सालों पहले की बात है
बात मगर कुछ खास है
मैंने भी ढूँढा एक तरीका है
जहाँ जबान बंद और शब्दों में सलीका है
सालों पहले की बात है
बात मगर कुछ खास है
हाँ हाथों में कलम अब पकड़ा है
अब कोई बंधन ना मुझको जकड़ा है
सालों पहले की बात है
बात मगर कुछ खास है
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