White वो इक ख्वाब अधूरा सा, पूरा ना हो पाया अब तक।
इंतजार भी करते करते, शाम हो गई है जब तक।
कोशिश की कई बार हाथ में, लिया रेत सा फिसल गया।
आश टूटती, स्वांस छूटती, होने लगा हृदय धक धक।
दिन में भी याद उसे करते, और रात जुदाई में उसकी।
कभी बहक जाता ये दिल तो, कभी आग सा गया दहक।
लिखती हूं वो ख्वाब अधूरा, गजलें पूरी हो जाती।
वही मोहब्बत बनी इबादत, कर के तन मन हुआ पुलक।
माना इंतजार है लंबा, पर वो घड़ियां भी आएंगी।
पूरा होगा स्वप्न, वो आएगा, घर होगा चहक, महक।
©Kalpana Tomar
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