मशकूर हूँ मैं आप सभी का,
जो मेरे लिए इक रात में पैहम हुए!
हुस्न-ए-तमाम नजारा हो गया था तब,
जब रविश सभी के पैहम हुए!!
जोरों से चीख कर कहती है मेरी सदा-ए-कल्ब,
कि आज अग्यार भी नसब में पैहम हुए!!
कि बदमस्त सा हो गया था अपनों के बीच मैं आकर,
फिर याद आया कि यहां तो सभी मेरे लिए ही पैहम हुए!!
दुआ करूंगा कि रब हम सबके रिश्ते में ऐसी हलावत भर दे,
कि इस उखुव्वत को ताउम्र के लिए दिलों से वाबस्ता कर दे!!
✍🏻:- Karan.Shayar
©Karan Shayar
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