मशकूर हूँ मैं आप सभी का, जो मेरे लिए इक रात में पैहम हुए! हुस्न-ए-तमाम नजारा हो गया था तब, जब रविश सभी के पैहम हुए!! जोरों से चीख कर कहती है मेरी सदा-ए-कल्ब, कि.
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