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im live in jaspur
शायर शादाब कमाल
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Saturday, 5 March | 08:30 pm
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गर्दिश है गर जिंदगी में तो खाक उठाते चलिए साथ परेशानियों का हसरत से निभाते चलिए पहुंचना अगर मुमकिन ना हो राहे मंजिल पर तो हताश आंखों को झूठे ख्वाब दिखाते चलिए सफर में मुश्किलों से लड़ने का मजा आएगा नगमा मोहब्बत का कोई दोस्तों गाते चलिए इश्क में टूटकर बिखरकर के संभलने वालों गांव के बच्चों को भी मोहब्बत सिखाते चलिए ✍️शादाब कमाल ©शायर शादाब कमाल
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सियासत को गरीबों से रबत कब है इनके लिए तो साहिबे माल ही सब है मजलुम के हक में कोई बात कर हाकिम गरीब के मसीहा क्यु सिल बैठा लब है किसी ने जान दे दी है भरी ठंड में इस पे भी कोई तंज नहीं कैसा अदब है सुला अपनों को आग उगलती शबो में खुद मखमल में है खुदा ये कैसा अजब है मूसा सा कोई भेज दुनिया में मौला इक फिरोन खुद को समझ बैठा रब है ✍शादाब कमाल ©शायर शादाब कमाल
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